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भजन संहिता Chapter108 1 हे परमेश्वर, मेरा हृदय स्थ्रि है; मैं गाऊंगा, मैं अपक्की आत्मा से भी भजन गाऊंगा। 2 हे सारंगी और वीणा जागो! मैं आप पौ फटते जाग उठूंगा! 3 हे यहोवा, मैं देश देश के लोगोंके मध्य में तेरा धन्यवाद करूंगा, और राज्य राज्य के लोगोंके मध्य में तेरा भजन गाऊंगा। 4 क्योंकि तेरी करूणा आकाश से भी ऊंची है, और तेरी सच्चाई आकाशमण्डल तक है।। 5 हे परमेश्वर, तू स्वर्ग के ऊपर हो! और तेरी महिमा सारी पृथ्वी के ऊपर हो! 6 इसलिथे कि तेरे प्रिय छुड़ाए जाएं, तू अपके दहिने हाथ से बचा ले और हमारी बिनती सुन ले! 7 परमेश्वर ने अपक्की पवित्राता में होकर कहा है, मैं प्रफुल्लित होकर शेकेम को बांट लूंगा, और सुक्कोत की तराई को नपवाऊंगा। 8 गिलाद मेरा है, मनश्शे भी मेरा है; और एप्रैम मेरे सिर का टोप है; यहूदा मेरा राजदण्ड है। 9 मोआब मेरे धोने का पात्रा है, मैं एदोम पर अपना जूता फेंकूंगा, पलिश्त पर मैं जयजयकार करूंगा।। 10 मुझे गढ़वाले नगर में कौन पहुंचाएगा? ऐदोम तक मेरी अगुवाई किस ने की हैं? 11 हे परमेश्वर, क्या तू ने हम को नहीं त्याग दिया, और हे परमेश्वर, तू हमारी सेना के साथ पयान नहीं करता। 12 द्रोहियोंके विरूद्ध हमारी सहाथता कर, क्योंकि मनुष्य का किया हुआ छुटकारा व्यर्थ है! 13 परमेश्वर की सहाथता से हम वीरता दिखाएंगे, हमारे द्रोहियोंको वही रौंदेगा।।
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