2 वह अपके मुंह के चुम्बनोंसे मुझे चूमे! क्योंकि तेरा प्रेम दाखमधु से उत्तम है,
3 तेरे भांति भांति के इत्रोंका सुगन्ध उत्तम है, तेरा नाम उंडेले हुए इत्र के तुल्य है; इसीलिथे कुमारियां तुझ से प्रेम रखती हैं
4 मुझे खींच ले; हम तेरे पीछे दौड़ेंगे राजा मुझे अपके महल में ले आया है। हम तुझ में मगन और आनन्दित होंगे; हम दाखमधु से अधिक तेरे प्रेम की चर्चा करेंगे; वे ठीक ही तुझ से प्रेम रखती हैं।।
5 हे यरूशलेम की पुत्रियों, मैं काली तो हूं परन्तु सुन्दर हूं, केदार के तम्बुओं के और सुलैमान के पर्दोंके तुल्य हूं।
6 मुझे इसलिथे न घूर कि मैं साँवली हूं, क्योंकि मैं धूप से फुलस गई। मेरी माता के पुत्र मुझ से अप्रसन्न थे, उन्होंने मुझ को दाख की बारियोंकी रखवालिन बनाया; परन्तु मैं ने अपक्की निज दाख की बारी की रखवाली नहीं की!
7 हे मेरे प्राणप्रिय मुझे बता, तू अपक्की भेड़-बकरियां कहां चराता है, दोपहर को तू उन्हें कहां बैठाता है; मैं क्योंतेरे संगियोंकी भेड़-बकरियोंके पास घूंघट काढ़े हुए भटकती फिरूं?
8 हे स्त्रियोंमें सुन्दरी, यदि तू यह न जानती हो तो भेड़-बकरियोंके खुरोंके चिन्होंपर चल और चरावाहोंके तम्बुओं के पास अपक्की बकरियोंके बच्चोंको चरा।।
9 हे मेरी प्रिय मैं ने तेरी तुलना फिरौन के रयोंमें जुती हुई घोड़ी से की है।
10 तेरे गाल केशोंके लटोंके बीच क्या ही सुन्दर हैं, और तेरा कण्ठ हीरोंकी लड़ोंके बीच।
11 हम तेरे लिथे चान्दी के फूलदार सोने के आभूषण बनाएंगे।
12 जब राजा अपक्की मेज के पास बैठा या मेरी जटामासी की सुगन्ध फैल रही यी।
13 मेरा प्रेमी मेरे लिथे लोबान की यैली के समान है जो मेरी छातियोंके बीच में पक्की रहती है।।
14 मेरा प्रमी मेरे लिथे मेंहदी के फूलोंके गुच्छे के समान है, जो एनगदी की दाख की बारियोंमें होता है।।
15 तू सुन्दरी है, हे मेरी प्रिय, तू सुन्दरी है; तेरी आंखें कबूतरी की सी हैं।
16 हे मेरी प्रिय तू सुन्दर और मनभावनी है। और हमारा बिछौना भी हरा है;
17 हमारे घर के बरगे देवदार हैं और हमारी छत की कडिय़ां सनौवर हैं।।