Bible-Server.org  
 
 
Praise the Lord, all ye nations      
Psalms 117:1       
 
enter keywords   match
 AND find keywords in

Home Page
Genesis
उत्पत्ति
Exodus
निर्गमन
Leviticus
लैव्यवस्था
Numbers
गिनती
Deuteronomy
व्यवस्थाविवरण
Joshua
यहोशू
Judges
न्यायियों
Ruth
रूत
1 Samuel
1 शमूएल
2 Samuel
2 शमूएल
1 Kings
1 राजा
2 Kings
2 राजा 
1 Chronicles
1 इतिहास
2 Chronicles
2 इतिहास
Ezra
एज्रा
Nehemiah
नहेमायाह
Esther
एस्तेर
Job
अय्यूब
Psalms
भजन संहिता
Proverbs
नीतिवचन
Ecclesiastes
सभोपदेशक
Song of Solomon
श्रेष्ठगीत
Isaiah
श्रेष्ठगीत
Jeremiah
यिर्मयाह
Lamentations
विलापगीत
Ezekiel
यहेजकेल
Daniel
दानिय्येल
Hosea
होशे
Joel
योएल
Amos
आमोस
Obadiah
ओबद्दाह
Jonah
योना
Micah
मीका
Nahum
नहूम
Habakkuk
हबक्कूक
Zephaniah
सपन्याह
Haggai
हाग्गै
Zechariah
जकर्याह
Malachi
मलाकी
Matthew
मत्ती
Mark
मरकुस
Luke
लूका
John
यूहन्ना
Acts
प्रेरितों के काम
Romans
रोमियो
1 Corinthians
1 कुरिन्थियों
2 Corinthians
2 कुरिन्थियों
Galatians
गलातियों
Ephesians
इफिसियों
Philippians
फिलिप्पियों
Colossians
कुलुस्सियों
1 Thessalonians
1 थिस्सलुनीकियों
2 Thessalonians
2 थिस्सलुनीकियों
1 Timothy
1 तीमुथियुस
2 Timothy
2 तीमुथियुस
Titus
तीतुस
Philemon
फिलेमोन
Hebrews
इब्रानियों
James
याकूब
1 Peter
1 पतरस
2 Peter
2 पतरस
1 John
1 यूहन्ना
2 John
2 यूहन्ना
3 John
3 यूहन्ना
Jude
यहूदा
Revelation
प्रकाशित वाक्य
 
 

 
 
translate into
यहेजकेल Chapter1
 
1 तीसवें वर्ष के चौथे महीने के पांचवें दिन, मैं बंधुओं के बीच कबार नदी के तीर पर या, तब स्वर्ग खुल गया, और मैं ने परमेश्वर के दर्शन पाए।
 
2 यहोयाकीम राजा की बंधुआई के पांचवें वर्ष के चौथे महीने के पांचवें दिन को, कसदियोंके देश में कबार नदी के तीर पर,
 
3 यहोवा का वचन बूजी के पुत्र यहेजकेल याजक के पास पहुचा; और यहोवा की शक्ति उस पर वहीं प्रगट हुई।
 
4 जब मैं देखने लगा, तो क्या देखता हूँ कि उत्तर दिशा से बड़ी घटा, और लहराती हुई आग सहित बड़ी आंधी आ रही है; और घटा के चारोंओर प्रकाश और आग के बीचों-बीच से फलकाया हुआ पीतल सा कुछ दिखाई देता है।
 
5 फिर उसके बीच से चार जीवधारियोंके समान कुछ निकले। और उनका रूप मनुष्य के समान या,
 
6 परन्तु उन में से हर एक के चार चार मुख और चार चार पंख थे।
 
7 उनके पांव सीधे थे, और उनके पांवोंके तलुए बछड़ोंके खुरोंके से थे; और वे फलकाए हुए पीतल की नाई चमकते थे।
 
8 उनकी चारोंअलंग पर पंखोंके नीचे मनुष्य के से हाथ थे। और उन चारोंके मुख और पंख इस प्रकार के थे:
 
9 उनके पंख एक दूसरे से परस्पर मिले हुए थे; वे अपके अपके साम्हने सीधे ही चलते हुए मुड़ते नहीं थे।
 
10 उनके साम्हने के मुखोंका रूप मनुष्य का सा या; और उन चारोंके दहिनी ओर के मुख सिंह के से, बाई ओर के मुख बैल के से थे, और चारोंके पीछे के मुख उकाब पक्की के से थे।
 
11 उनके चेहरे ऐसे थे। और उनके मुख और पंख ऊपर की ओर अलग अलग थे; हर एक जीवधारी के दो दो पंख थे, जो एक दूसरे के पंखोंसे मिले हुए थे, और दो दो पंखोंसे उनका शरीर ढंपा हुआ या।
 
12 और वे सीधे अपके अपके साम्हने ही चलते थे; जिध्र आत्मा जाना चाहता या, वे उधर ही जाते थे, और चलते समय मुड़ते नहीं थे।
 
13 और जीबधारियोंके रूप अंगारोंऔर जलते हुए पक्कीतोंके समान दिखाई देते थे, और वह आग जीवधारियोंके बीच इधर उध्र चलती फिरती हुई बड़ा प्रकाश देती रही; और उस आग से बिजली निकलती यी।
 
14 और जीवधारियोंका चलना-फिरना बिजली का सा या।
 
15 जब मैं जीवधारियोंको देख ही रहा या, तो क्या देखा कि भूमि पर उनके पास चारोंमुखें की गिनती के अनुसार, एक एक पहिया या।
 
16 पहियोंका रूप और बनावट फीरोजे की सी यी, और चारोंका एक ही रूप या; और उनका रूप और बनावट ऐसी यी जैसे एक पहिथे के बीच दूसरा पहिया हो।
 
17 चलते समय वे अपक्की चारोंअलंगोंकी ओर चल सकते थे, और चलने में मुड़ते नहीं थे।
 
18 और उन चारोंपहियोंके घेरे बहुत बड़े और डरावने थे, और उनके घेरोंमें चारोंओर आंखें ही आंखें भरी हुई यीं।
 
19 और जब जीवधारी चलते थे, तब पहिथे भी उनके साय चलते थे; और जब जीवधारी भूमि पर से उठते थे, तब पहिथे भी उठते थे।
 
20 जिधर आत्मा जाना चाहती यी, उधर ही वे जाते, और और पहिथे जीवधारियोंके साय उठते थे; क्योंकि उनकी आत्मा पहियोंमें यी।
 
21 जब वे चलते थे तब थे भी चलते थे; और जब जब वे खड़े होते थे तब थे भी खड़े होते थे; और जब वे भूमि पर से उठते थे तब पहिथे भी उनके साय उठते थे; क्योंकि जीवधारियोंकी आत्मा पहियोंमें यी।
 
22 जीवधारियोंके सिरोंके ऊपर आकाश्मण्डल सा कुछ या जो बर्फ की नाई भयानक रीति से चमक्ता या, और वह उनके सिरोंके ऊपर फैला हुआ या।
 
23 और आकाशमण्डल के नीचे, उनके पंख एक दूसरे की ओर सीधे फैले हुए थे; और हर एक जीवधारी के दो दो और पंख थे जिन से उनके शरीर ढंपे हुए थे।
 
24 और उनके चलते समय उनके पंखोंकी फड़फड़ाहट की आहट मुझे बहुत से जल, वा सर्पशक्तिमान की वाणी, वा सेना के हलचल की सी सुनाई पड़ती यी; और जब वे खड़े होते थे, तब अपके पंख लटका लेते थे।
 
25 फिर उनके सिरोंके ऊपर जो आकाशमण्डल या, उसके ऊपर से एक शब्द सुनाई पड़ता या; और जब वे खड़े होते थे, तब अपके पंख लटका लेते थे।
 
26 और जो आकाशमण्डल उनके सिरोंके ऊपर या, उसके ऊपर मानो कुछ नीलम का बना हुआ सिंहासन या; इस सिंहासन के ऊपर मनुष्य के समान कोई दिखाई देता या।
 
27 और उसकी मानो कमर से लेकर ऊपर की ओर मुझे फलकाया हुआ पीतल सा दिखाई पड़ा, और उसके भीतर और चारोंओर आग सी दिखाई पड़ती यी; फिर उस मनुष्य की कमर से लेकर नीचे की ओर भी मुझे कुछ आग सी दिखाई पड़ती यी; और उसके चारोंओर प्रकाश या।
 
28 जैसे वर्षा के दिन बादल में धनुष दिखाई पड़ता है, वैसे ही चारोंओर का प्रकाश दिखाई देता या। यहोवा के तेज का रूप ऐसा ही या। और उसे देखकर, मैं मुंह के बल गिरा, तब मैं ने एक शब्द सुना जैसे कोई बातें करता है।
 
 

  | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | [ Next ]