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Psalms 117:1       
 
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प्रकाशित वाक्य
 
 

 
 
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भजन संहिता Chapter34
 
1 मैं हर समय यहोवा को धन्य कहा करूंगा; उसकी स्तुति निरन्तर मेरे मुख से होती रहेगी।
 
2 मैं यहोवा पर घमण्ड करूंगा; नम्र लोग यह सुनकर आनन्दित होंगे।
 
3 मेरे साथ यहोवा की बड़ाई करो, और आओ हम मिलकर उसके नाम की स्तुति करें।
 
4 मैं यहोवा के पास गया, तब उस ने मेरी सुन ली, और मुझे पूरी रीति से निर्भय किया।
 
5 जिन्होंने उसकी ओर दृष्टि की उन्होंने ज्योति पाई; और उनका मुंह कभी काला न होने पाया।
 
6 इस दीन जन ने पुकारा तब यहोवा ने सुन लिया, और उसको उसके सब कष्टोंसे छुड़ा लिया।।
 
7 यहोवा के डरवैयोंके चारोंओर उसका दूत छावनी किए हुए उनको बचाता है।
 
8 परखकर देखो कि यहोवा कैसा भला है! क्या ही धन्य है वह पुरूष जो उसकी शरण लेता है।
 
9 हे यहोवा के पवित्रा लोगो, उसका भय मानो, क्योंकि उसके डरवैयोंको किसी बात की घटी नहीं होती!
 
10 जवान सिक्कों तो घटी होती और वे भूखे भी रह जाते हैं; परन्तु यहोवा के खोजियोंको किसी भली वस्तु की घटी न होवेगी।।
 
11 हे लड़कों, आओ, मेरी सुनो, मैं तुम को यहोवा का भय मानना सिखाऊंगा।
 
12 वह कौन मनुष्य है जो जीवन की इच्छा रखता, और दीर्घायु चाहता है ताकि भलाई देखे?
 
13 अपक्की जीभ को बुराई से रोक रख, और अपके मुंह की चौकसी कर कि उस से छल की बात न निकले।
 
14 बुराई को छोड़ और भलाई कर; मेल को ढूंढ और उसी का पीछा कर।।
 
15 यहोवा की आंखे धर्मियोंपर लगी रहती हैं, और उसके कान भी उसकी दोहाई की ओर लगे रहते हैं।
 
16 यहोवा बुराई करनेवालोंके विमुख रहता है, ताकि उनका स्मरण पृथ्वी पर से मिटा डाले।
 
17 धर्मी दोहाई देते हैं और यहोवा सुनता है, और उनको सब विपत्तियोंसे छुड़ाता है।
 
18 यहोवा टूटे मनवालोंके समीप रहता है, और पिसे हुओं का उद्वार करता है।।
 
19 धर्मी पर बहुत सी विपत्तियां पड़ती तो हैं, परन्त यहोवा उसको उन सब से मुक्त करता है।
 
20 वह उसकी हड्डी हड्डी की रक्षा करता है; और उन में से एक भी टूटने नहीं पाती।
 
21 दुष्ट अपक्की बुराई के द्वारा मारा जाएगा; और धर्मी के बैरी दोषी ठहरेंगे।
 
22 यहोवा अपके दासोंका प्राण मोल लेकर बचा लेता है; और जितने उसके शरणागत हैं उन में से कोई भी दोषी न ठहरेगा।।
 
 

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