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प्रकाशित वाक्य
 
 

 
 
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श्रेष्ठगीत Chapter65
 
1 जो मुझ को पूछते भी न थे वे मेरे खोजी हैं; जो मुझे ढूंढ़ते भी न थे उन्होंने मुझे पा लिया, और जो जाति मेरी नहीं कहलाई यी, उस से भी मैं कहता हूं, देख, मैं उपस्यित हूं।
 
2 मैं एक हठीली जाति के लोगोंकी ओर दिन भर हाथ फैलाए रहा, जो अपक्की युक्तियोंके अनुसार बुरे मार्गोंमें चलते हैं।
 
3 ऐसे लो, जो मेरे साम्हने ही बारियोंमें बलि चढ़ा चढ़ाकर और ईंटोंपर धूप जला जलाकर, मुझे लगातार क्रोध दिलाते हैं।
 
4 थे कब्र के बीच बैठते और छिपे हुए स्यानोंमें रात बिताते; जो सूअर का मांस खाते, और घृणित वस्तुओं का रस अपके बर्तनोंमें रखते;
 
5 जो कहते हैं, हट जा, मेरे निकट मत आ, क्योंकि मैं तुझ से पवित्र हूं। थे मेरी नाक में धूंएं व उस आग के समान हैं जो दिन भर जलती रहती है।
 
6 देखो, यह बात मेरे साम्हने लिखी हुई है: मैं चुप न रहूंगा, मैं निश्चय बदला दूंगा वरन तुम्हारे और तुम्हारे पुरखाओं के भी अधर्म के कामोंका बदला तुम्हारी गोद में भर दूंगा।
 
7 क्योंकि उन्होंने पहाड़ोंपर धूप जलाया और पहाडिय़ोंपर मेरी निन्दा की है, इसलिथे मैं यहोवा कहता हूं, कि, उनके पिछले कामोंके बदले को मैं इनकी गोद में तौलकर दूंगा।।
 
8 यहोवा योंकहता है, जिस भांति दाख के किसी गुच्छे में जब नया दाखमधु भर आता है, तब लोग कहते हैं, उसे नाश मत कर, क्योंकि उस में आशीष है; उसी भांति मैं अपके दासोंके निमित्त ऐसा करूंगा कि सभोंको नाश न करूंगा।
 
9 मैं याकूब में से एक वंश, और यहूदा में से अपके पर्वतोंका एक वारिस उत्पन्न करूंगा; मेरे चुने हुए उसके वारिस होंगे, और मेरे दास वहां निवास करेंगे।
 
10 मेरी प्रजा जो मुझे ढूंढ़ती है, उसकी भेंड़-बकरियां तो शारोन में चरेंगी, और उसके गाय-बैल आकोर नाम तराई में विश्रम करेंगे।
 
11 परन्तु तुम जो यहोवा को त्याग देते और मेरे पवित्र पर्वत को भूल जाते हो, जो भाग्य देवता के लिथे मेंज पर भोजन की वस्तुएं सजाते और भावी देवी के लिथे मसाला मिला हुआ दाखमधु भर देते हो;
 
12 मैं तुम्हें गिन गिनकर तलवार का कौर बनाऊंगा, और तुम सब घात होने के लिथे फुकोगे; क्योंकि, जब मैं ने तुम्हें बुलाया तुम ने उत्तर न दिया, जब मैं बोला, तब तुम ने मेरी न सुनी; वरन जो मुझे बुरा लगता है वही तुम ने नित किया, और जिस से मैं अप्रसन्न होता हूं, उसी को तुम ने अपनाया।।
 
13 इस कारण प्रभु यहोवा योंकहता है, देखो, मेरे दास तो खाएंगे, पर तुम भूखे रहोगे; मेरे दास पीएंगे, पर तुम प्यासे रहोगे; मेरे दास आनन्द करेंगे, पर तुम लज्जित होगे;
 
14 देखो, मेरे दास हर्ष के मारे जयजयकार करेंगे, परन्तु तुम शोक से चिल्लाओगे और खेद के मारे हाथ हाथ, करोगे।
 
15 मेरे चुने हुए लोग तुम्हारी उपमा दे देकर शाप देंगे, और प्रभु यहोवा तुझ को नाश करेगा; परन्तु अपके दासोंका दूसरा नाम रखेगा।
 
16 तब सारे देश में जो कोई अपके को धन्य कहेगा वह सच्चे परमेश्वर का नाम लेकर अपके को धन्य कहेगा, और जो कोई देश में शपय खाए वह सच्चे परमेश्वर के नाम से शपय खाएगा; क्योंकि पिछला कष्ट दूर हो गया और वह मेरी आंखोंसे छिप गया है।।
 
17 क्योंकि देखो, मैं नया आकाश और नई पृय्वी उत्पन्न करने पर हूं, और पहिली बातें स्मरण न रहेंगी और सोच विचार में भी न आएंगी।
 
18 इसलिथे जो मैं उत्पन्न करने पर हूं, उसके कारण तुम हषिर्त हो और सदा सर्वदा मगन रहो; क्योंकि देखो, मैं यरूशलेम को मगन और उसकी प्रजा को आनन्दित बनाऊंगा।
 
19 मैं आप यरूशलेम के कारण मगन, और अपक्की प्रजा के हेतु हषिर्त हूंगा; उस में फिर रोने वा चिल्लाने का शब्द न सुनाई पकेगा।
 
20 उस में फिर न तो योड़े दिन का बच्चा, और न ऐसा बूढ़ा जाता रहेगा जिस ने अपक्की आयु पूरी न की हो; क्योंकि जो लड़कपन में मरनेवाला है वह सौ वर्ष का होकर मरेगा, परन्तु पापी सौ वर्ष का होकर श्रपित ठहरेगा।
 
21 वे घर बनाकर उन में बसेंगे; वे दाख की बारियां लगाकर उनका फल खाएंगे।
 
22 ऐसा नहीं होगा कि वे बनाएं और दूसरा बसे; वा वे लगाएं, और दूसरा खाए; क्योंकि मेरी प्रजा की आयु वृझोंकी सी होगी, और मेरे चुने हुए अपके कामोंका पूरा लाभ उठाएंगे।
 
23 उनका परिश्र्म व्यर्य न होगा, न उनके बालक घबराहट के लिथे उत्पन्न होंगे; क्योंकि वे यहोवा के धन्य लोगोंका वंश ठहरेंगे, और उनके बालबच्चे उन से अलग न होंगे।
 
24 उनके पुकारने से पहिले ही मैं उनको उत्तर दूंगा, और उनके मांगते ही मैं उनकी सुन लूंगा।
 
25 भेडिय़ा और मेम्ना एक संग चरा करेंगे, और सिंह बैल की नाई भूसा खाएगा; और सर्प का आहार मिट्टी ही रहेगा। मेरे सारे पवित्र पर्वत पर न तो कोई किसी को दु:ख देगा और न कोई किसी की हानि करेगा, यहोवा का यही वचन है।।
 
 

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