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प्रकाशित वाक्य
 
 

 
 
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श्रेष्ठगीत Chapter33
 
1 हाथ तुझ नाश करनेवाले पर जो नाश नहीं किया गया या; हाथ तुझ विश्वासघाती पर, जिसके साय विश्वासघात नहीं किया गया! जब तू नाश कर चुके, तब तू नाश किया जाएगा; और जब तू विश्वासघात कर चुके, तब तेरे साय विश्वासघात किया जाएगा।।
 
2 हे यहोवा, हम लोगोंपर अनुग्रह कर; हम तेरी ही बाट जोहते हैं। भोर को तू उनका भुजबल, संकट के समय हमारा उद्धारकर्त्ता ठहर।
 
3 हुल्लडऋ सुनते ही देश देश के लोग भाग गए, तेरे उठने पर अन्यजातियां तित्तर-बित्तर हुई।
 
4 और जैसे टिड्डियां चट करती हैं वैसे ही तुम्हारी लूट चट की जाएगी, और जैसे टिड्डियां टूट पड़ती हैं, वैसे ही वे उस पर टूट पकेंगे।।
 
5 यहोवा महान हुआ है, वह ऊंचे पर रहता है; उस ने सिय्योन को न्याय और धर्म से परिपूर्ण किया है;
 
6 और उद्धार, बुद्धि और ज्ञान की बहुतायत तेरे दिनोंका आधार होगी; यहोवा का भय उसका धन होगा।।
 
7 देख, उनके शूरवीर बाहर चिल्ला रहे हैं; संधि के दूत बिलक बिलककर रो रहे हैं।
 
8 राजमार्ग सुनसान पके हैं, उन पर बटोही अब नहीं चलते। उस ने वाचा को टाल दिया, नगरोंको तुच्छ जाना, उस ने मनुष्य को कुछ न समझा।
 
9 पृय्वी विलाप करती और मुर्फा गई है; लबानोन कुम्हला गया और उस पर सियाही छा गई है; शारोन मरूभूमि के समान हो गया; बाशान और कर्मेल में पतफड़ हो रहा है।।
 
10 यहोवा कहता है, अब मैं उठूंगा, मैं अपना प्रताप दिखाऊंगा; अब मैं महान ठहरूंगा।
 
11 तुम में सूखी घास का गर्भ रहेगा, तुम से भूसी उत्पन्न होगी; तुम्हारी सांस आग है जो तुम्हें भस्म करेगी।
 
12 देश देश के लोग फूंके हुए चूने के सामान हो जाएंगे, और कटे हुए कटीले पेड़ोंकी नाई आग में जलाए जाएंगे।।
 
13 हे दूर दूर के लोगों, सुनो कि मैं ने क्या किया है? और तुम भी जो निकट हो, मेरा पराक्रम जान लो।
 
14 सिय्योन के पापी यरयरा गए हैं: भक्तिहीनोंको कंपकंपी लगी है: हम में से कोन प्रचण्ड आग में रह सकता? हम में से कौन उस आग में बना रह सकता है जो कभी नहीं बुफेगी?
 
15 जो धर्म से चलता और सीधी बातें बोलता; जो अन्धेर के लाभ से घृणा करता, जो घूस नही लेता; जो खून की बात सुनने से कान बन्द करता, और बुराई देखने से आंख मूंद लेता है। वही ऊंचे स्यानोंमें निवास करेगा।
 
16 वह चट्टानोंके गढ़ोंमें शरण लिए हुए रहेगा; उसको रोटी मिलेगी और पानी की घटी कभी न होगी।।
 
17 तू अपक्की आंखोंसे राजा को उसकी शोभा सहित देखेगा; और लम्बे चौड़े देश पर दृष्टि करेगा।
 
18 तू भय के दिनोंको स्मरण करेगा: लेखा लेनेवाला और कर तौल कर लेनेवाला कहां रहा? गुम्मटोंका गिननेवाला कहां रहा?
 
19 जिनकी कठिन भाषा तू नहीं समझता, और जिनकी लड़बड़ाती जीभ की बात तू नहीं बूफ सकता उन निर्दय लोगोंको तू फिर न देखेगा।
 
20 हमारे पर्व के नगर सिय्योन पर दृष्टि कर! तू अपक्की आंखोंसे यरूशेलम को देखेगा, वह विश्रम का स्यान, और ऐसा तम्बू है जो कभी गिराया नहीं जाएगा, जिसका कोई खूंटा कभी उखाड़ा न जाएगा, और न कोई रस्सी कभी टूटेगी।
 
21 वहां महाप्रतापी यहोवा हमारे लिथे रहेगा, वह बहुत बड़ी बड़ी नदियोंऔर नहरो का स्यान होगा, जिस में डांड़वाली नाव न चलेगी और न शोभायमान जहाज उस में होकर जाएगा।
 
22 क्योंकि यहोवा हमारा न्यायी, यहोवा हमारा हाकिम, यहोवा हमारा राजा है; वही हमारा उद्धार करेगा।।
 
23 तेरी रस्सियां ढीली हो गईं, वे मस्तूल की जड़ को दृढ़ न रख सकीं, और न पाल को तान सकीं।। तब बड़ी लूट छीनकर बांटी गई, लंगड़े लोग भी लूट के भागी हुए।
 
24 कोई निवासी न कहेगा कि मैं रोगी हूं; और जो लाग उस में बसेंगे, उनका अधर्म झमा किया जाएगा।।
 
 

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