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प्रकाशित वाक्य
 
 

 
 
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श्रेष्ठगीत Chapter41
 
1 हे द्वीपों, मेरे साम्हने चुप रहो; देश देश के लोग नया बल प्राप्त करें; वे समीप आकर बोलें; हम आपस में न्याय के लिथे एक दूसरे के समीप आएं।।
 
2 किस ने पूर्व दिशा से एक को उभारा है, जिसे वह धर्म के साय अपके पांव के पास बुलाता है? वह जातियोंको उसके वश में कर देता और उसको राजाओं पर अधिक्कारनेी ठहराता है; उसकी तलवार वह उन्हें धूल के समान, और उसके धनुष से उड़ाए हुए भूसे के समान कर देता है।
 
3 वह उन्हें खदेड़ता और ऐसे मार्ग से, जिस पर वह कभी न चला या, बिना रोक टोक आगे बढ़ता है।
 
4 कि ने यह काम किया है और आदि से पीढिय़ोंको बुलाता आया है? मैं यहोवा, जो सब से पहिला, और अन्त के समय रहूंगा; मैं वहीं हूं।।
 
5 द्वीप देखकर डरते हैं, पृय्वी के दूर देश कांप उठे और निकट आ गए हैं।
 
6 वे एक दूसरे की सहाथता करते हैं और उन में से एक अपके भाई से कहता है, हियाव बान्ध!
 
7 बढ़ई सोनार को और हयौड़े से बराबर करनेवाला निहाई पर मारनेवाले को यह कहकर हियाव बन्धा रहा है, जोड़ तो अच्छी है, सो वह कील ठोंक ठोंककर उसको ऐसा दृढ़ करता है कि वह स्यिर रहे।।
 
8 हे मेरे दास इस्राएल, हे मेरे चुने हुए याकूब, हे मेरे प्रेमी इब्राहीम के वंश;
 
9 तू जिसे मैं ने पृय्वी के दूर दूर देशोंसे लिया और पृय्वी की छोर से बुलाकर यह कहा, तू मेरा दास है, मैं ने तुझे चुला है और तजा नहीं;
 
10 मत डर, क्योंकि मैं तेरे संग हूं, इधर उधर मत ताक, क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर हूं; मैं तुझे दृढ़ करूंगा और तेरी सहाथता करूंगा, अपके धर्ममय दहिने हाथ से मैं तुझे सम्हाले रहूंगा।।
 
11 देख, जो तुझ से क्रोधित हैं, वे सब लज्जित होंगे; जो तुझ से फगड़ते हैं उनके मुंह काले होंगे और वे नाश होकर मिट जाएंगे।
 
12 जो तुझ से लड़ते हैं उन्हें ढूंढने पर भी तू न पएगा; जो तुझ से युद्ध करते हैं वे नाश होकर मिट जाएंगे।
 
13 क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर यहोवा, तेरा दहिना हाथ पकड़कर कहूंगा, मत डर, मैं तेरी सहाथता करूंगा।।
 
14 हे कीड़े सरीखे याकूब, हे इस्राएल के मनुष्यों, मत डरो! यहोवा की यह वाणी है, मैं तेरी सहयता करूंगा; इस्राएल का पवित्र तेरा छुड़ानेवाला है।
 
15 देख, मैं ने तुझे छुरीवाले दांवने का एक नया और चोखा यन्त्र ठहराया है; तू पहाड़ोंको दांय दांयकर स्ूझ्म धूलि कर देगा, और पहाडिय़ोंको तू भूसे के समान कर देगा।
 
16 तू उनको फटकेगा, और पवन उन्हें उड़ा ले जाएगी, और आंधी उन्हें तितर-बितर कर देगी। परन्तु तू यहोवा के कारण मगन होगा; और इस्राएल के पवित्र के कारण बड़ाई मारेगा।।
 
17 जब दी और दरिद्र लोग जल ढूंढ़ने पर भी न पाथें और उनका तालू प्यास के मारे सूख जाथे; मैं यहोवा उनकी बिनती सुनूंगा, मैं इस्राएल का परमेश्वर उनको त्याग न दूंगां
 
18 मैं मुण्डे टीलोंसे भी नदियां और मैदानोंके बीच में सोते बहऊंगा; मैं जंगल को ताल और निर्जल देश को सोते ही सोते कर दूंगा।
 
19 मैं जंगल में देवदार, बबूल, मेंहदी, और जलपाई उगाऊंगा; मैं अराबा में सनौवर, तिधार वृझ, और सीधा सनौबर इकट्ठे लगाऊंगा;
 
20 जिस से लोग देखकर जान लें, और सोचकर पूरी रीति से समझ लें कि यह यहोवा के हाथ का किया हुआ और इस्राएल के पवित्र का सृजा हुआ है।।
 
21 यहोवा कहता है, अपना मुकद्दमा लड़ो; याकूब का राजा कहता है, अपके प्रमाण दो।
 
22 वे उन्हें देकर हम को बताएं कि भविष्य में क्या होगा? पूर्वकाल की घटनाएं बताओ कि आदि में क्या क्या हुआ, जिस से हम उन्हें सोचकर जान सकें कि भविष्य में उनका क्या फल होगा; वा होनेवाली घटनाएं हम को सुना दो।
 
23 भविष्य में जो कुछ घटेगा वह बताओ, तब हम मानेंगे कि तुम ईश्वर हो; भला वा बुरा; कुछ तो करो कि हम देखकर एक चकित को जाएं।
 
24 देखो, तुम कुछ नहीं हो, तुम से कुछ नहीं बनता; जो कोई तुम्हें जानता है वह घृणित है।।
 
25 मैं ने एक को उत्तर दिशा से उभारा, वह आ भी गया है; वह पूर्व दिशा से है और मेरा नाम लेता है; जैसा कुम्हार गिली मिट्टी को लताड़ता है, वैसा ही वह हाकिमोंको कीच के समान लताड़ देगा।
 
26 किस ने इस बात को पहिले से बताया या, जिस से हम यह जानते? किस ने पूर्वकाल से यह प्रगट किया जिस से हम कहें कि वह सच्चा है? कोई भी बतानेवाला नहीं, कोई भी सुनानेवाला नहीं, तुम्हारी बातोंका कोई भी सुनानेवाला नहीं है।
 
27 मैं ही ने पहिले सिय्योन से कहा, देख, उन्हें देख, और मैं ने यरूशलेम को एक शुभ समाचार देनेवाला भेजा।
 
28 मैं ने देखने पर भी किसी को न पाया; उन में से कोई मन्त्री नहीं जो मेरे पूछने पर कुछ उत्तर दे सके।
 
29 सुनो, उन सभोंके काम अनर्य हैं; उनके काम तुच्छ हैं, और उनकी ढली हुई मूत्तियां वायु और मिय्या हैं।।
 
 

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