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प्रकाशित वाक्य
 
 

 
 
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श्रेष्ठगीत Chapter30
 
1 यहोवा की यह वाणी है, हाथ उन बलवा करनेवाले लड़कोंपर जो युक्ति तो करते परन्तु मेरी ओर से नहीं; वाचा तो बान्धते परन्तु मेरे आत्मा के सिखाथे नहीं; और इस प्रकार पाप पर पाप बढ़ाते हैं।
 
2 वे मुझ से बिन पूछे मिस्र को जाते हैं कि फिरौन की रझा में रहे और मिस्र की छाया में शरण लें।
 
3 इसलिथे फिरौन का शरणस्यान तुम्हारी लज्जा का, और मिस्र की छाया में शरण लेना तुम्हारी निन्दा का कारण होगा।
 
4 उसके हाकिम सोअन में आए तो हैं और उसके दूत अब हानेस में पहुंचे हैं।
 
5 वे सब एक ऐसी जाति के कारण लज्जित होंगे जिस से उनका कुछ लाभ न होगा, जो सहाथता और लाभ के बदले लज्जा और नामधराई का कारण होगी।।
 
6 दक्खिन देश के पशुओं के विषय भारी वचन। वे अपक्की धन सम्पति को जवान गदहोंकी पीठ पर, और अपके खजानोंको ऊंटोंके कूबड़ोंपर लादे हुए, संकट और सकेती के देश में होकर, जहां सिंह और सिंहनी, नाग और उड़नेवाले तेज विषधर सर्प रहते हैं, उन लोगोंके पास जा रहे हैं जिन से उनको लाभ न होगा।
 
7 क्योंकि मिस्र की सहाथता व्यर्य और निकम्मी है, इस कारण मैं ने उसको बैठी रहनेवाली रहब कहा है।।
 
8 अब आकर इसको उनके साम्हने पत्यर पर खोद, और पुस्तक में लिख, कि वह भविष्य के लिथे वरन सदा के लिथे साझी बनी रहे।
 
9 क्योंकि वे बलवा करनेवाले लोग और फूठ बोलनेवाले लड़के हैं जो यहोवा की शिझा को सुनना नहीं चाहते।
 
10 वे दशिर्योंसे कहते हैं, दर्शी मत बनो; और नबियोंसे कहते हैं, हमारे लिथे ठीक नबूवत मत करो; हम से चिकनी चुपक्की बातें बोलो, धोखा देनेवाली नबूवत करो।
 
11 मार्ग से मुड़ो, पय से हटो, और इस्राएल के पवित्र को हमारे साम्हने से दूर करो।
 
12 इस कारण इस्राएल का पवित्र योंकहता है, तुम लोग जो मेरे इस वचन को निकम्मा जानते और अन्धेर और कुटिलता पर भरोसा करके उन्हीं पर टेक लगाते हो;
 
13 इस कारण यह अधर्म तुम्हारे लिथे ऊंची भीत का टूटा हुआ भाग होगा जो फटकर गिरने पर हो, और वह अचानक पल भर में टूटकर गिर पकेगा,
 
14 और कुम्हार के बर्तन की नाई फूटकर ऐसा चकनाचूर होगा कि उसके टुकड़ोंका एक ठीकरा भी न मिलेगा जिस से अंगेठी में से आग ली जाए वा हौद में से जल निकाला जाए।।
 
15 प्रभु यहोवा, इस्राएल का पवित्र योंकहता है, लौट आने और शान्त रहने में तुम्हारा उद्धार है; शान्त रहते और भरोसा रखने में तुम्हारी वीरता है। परन्तु तुम ने ऐसा नहीं किया,
 
16 तुम ने कहा, नहीं, हम तो घोड़ोंपर चढ़कर भागेंगे, इसलिथे तुम भागोगे; और यह भी कहा कि हम तेज सवारी पर चलेंगे, सो तुम्हारा पीछा करनेवाले उस से भी तेज होंगे।
 
17 एक ही की धमकी से एक हजार भागेंगे, और पांच की धमकी से तुम ऐसा भागोगे कि अन्त में तुम पहाड़ की चोटी के डण्डे वा टीले के ऊपर की ध्वजा के समान रह जाओगे जो चिन्ह के लिथे गाड़े जाते हैं।
 
18 तौभी यहोवा इसलिथे विलम्ब करता है कि तुम पर अनुग्रह करे, और इसलिथे ऊंचे उठेगा कि तुम पर दया करे। क्योंकि यहोवा न्यायी परमेश्वर है; क्या ही धन्य हैं वे जो उस पर आशा लगाए रहते हैं।।
 
19 हे सिय्योन के लोगोंतुम यरूशलेम में बसे रहो; तुम फिर कभी न रोओगे, वह तुम्हारी दोहाई सुनते ही तुम पर निश्चय अनुग्रह करेगा: वह सुनते ही तुम्हारी मानेगा।
 
20 और चाहे प्रभु तुम्हें विपत्ति की रोटी और दु:ख का जल भी दे, तौभी तुम्हारे उपकेशक फिर न छिपें, और तुम अपक्की आंखोंसे अपके उपकेशकोंको देखते रहोगे।
 
21 और जब कभी तुम दहिनी वा बाई ओर मुड़ने लगो, तब तुम्हारे पीछे से यह वचन तुम्हारे कानोंमें पकेगा, मार्ग यही है, इसी पर चलो।
 
22 तब तुम वह चान्दी जिस से तुम्हारी खुदी हुई मूत्तियां मढ़ी हैं, और वह सोना जिस से तुम्हारी ढली हुई मूत्तियां आभूषित हैं, अशुद्ध करोगे। तुम उनको मैले कुचैले वस्त्र की नाईं फेंक दोगे और कहोगे, दूर हो।
 
23 और वह तुम्हारे लिथे जल बरसाएगा कि तुम खेत में बीज बो सको, और भूमि की उपज भी उत्तम और बहुतायत से होगी। उस समय तुम्हारे जानवरोंको लम्बी-चौड़ी चराई मिलेगी।
 
24 और बैल और गदहे जो तुम्हारी खेती के काम में आएंगे, वे सूप और डलिया से फटका हुआ स्वादिष्ट चारा खाएंगे।
 
25 और उस महासंहार के समय जब गुम्मट गिर पकेंगे, सब ऊंचे ऊंचे पहाड़ोंऔर पहाडिय़ोंपर नालियां और सोते पाए जाएंगे।
 
26 उस समय यहोवा अपक्की प्रजा के लोगोंका घाव बान्धेगा और उनकी चोट चंगा करेगा; तब चन्द्रमा का प्रकाश सूर्य का सा, और सूर्य का प्रकाश सातगुना होगा, अर्यात्‌ अठवारे भर का प्रकाश एक दिन में होगा।।
 
27 देखो, यहोवा दूर से चला आता है, उसका प्रकोप भड़क उठा है, और धूएं का बादल उठ रहा है; उसके होंठ क्रोध से भरे हुए और उसकी जीभ भस्म करनेवाली आग के समान है।
 
28 उसकी सांस ऐसी उमण्डनेवाली नदी के समान है जो गले तक पहुंचक्की है; वह सब जातियोंको नाश के सूप से फटकेगा, और देश देश के लोगोंको भटकाने के लिथे उनके जभड़ोंमें लगाम लगाएगा।।
 
29 तब तुम पवित्र पर्व की रात का सा गीत गाओगे, और जैसा लोग यहोवा के पर्वत की ओर उस से मिलने को, जो इस्राएल की चट्टान है, बांसुली बजाते हुए जाते हैं, वैसे ही तुम्हारे मन में भी आनन्द होगा।
 
30 और यहोवा अपक्की प्रतापीवाणी सुनाएगा, और अपना क्रोध भड़काता और आग की लौ से भस्म करता हुआ, और प्रचण्ड आन्धी और अति वर्षा और ओलोंके साय अपना भुजबल दिखाएगा।
 
31 अश्शूर यहोवा के शब्द की शक्ति से नाश हो जाएगा, वह उसे सोंटे से मारेगा।
 
32 और जब जब यहोवा उसको दण्ड देगा, तब तब साय ही डफ और वीणा बजेंगी; और वह हाथ बढ़ाकर उसको लगातार मारता रहेगा।
 
33 बहुत काल से तोपेत तैयार किया गया है, वह राजा की के लिथे ठहराया गया है, वह लम्बा चौड़ा और गहिरा भी बनाया गया है, वहां की चिता में आग और बहुत सी लकड़ी हैं; यहोवा की सांस जलती हुई गन्धक की धारा की नाईं उसको सुलगाएगी।।
 
 

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