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प्रकाशित वाक्य
 
 

 
 
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श्रेष्ठगीत Chapter26
 
1 उस समय यहूदा देश में यह गीत गाया जाएगा, हमारा एक दृढ़ नगर है; उद्धार का काम देने के लिथे वह उसकी शहरपनाह और गढ़ को नियुक्त करता है।
 
2 फाटकोंको खोलो कि सच्चाई का पालन करनेवाली एक धर्मी जाति प्रवेश करे।
 
3 जिसका मन तुझ में धीरज धरे हुए हैं, उसकी तू पूर्ण शान्ति के साय रझा करता है, क्योंकि वह तुझ पर भरोसा रखता है।
 
4 यहोवा पर सदा भरोसा रख, क्योंकि प्रभु यहोवा सनातन चट्टान है।
 
5 वह ऊंचे पदवाले को फुका देता, जो नगर ऊंचे पर बसा है उसको वह नीचे कर देता। वह उसको भूमि पर गिराकर मिट्टी में मिला देता है।
 
6 वह पांवोंसे, वरन दरिद्रोंके पैरोंसे रौंदा जाएगा।।
 
7 धर्मी का मार्ग सच्चाई है; तू जो स्वयं सच्चाई है, तू धर्मी की अगुवाई करता है।
 
8 हे यहोवा, तेरे न्याय के मार्ग में हम लोग तेरी बाट जोहते आए हैं; तेरे नाम के स्मरण की हमारे प्राणोंमें लालसा बनी रहती है।
 
9 रात के समय मैं जी से तरी लालसा करता हूं, मेरा सम्पूर्ण मन से यत्न के साय तुझे ढूंढ़ता है। क्योंकि जब तेरे न्याय के काम पृय्वी पर प्रगट होते हैं, तब जगत के रहनेवाले धर्म की सीखते हैं।
 
10 दुष्ट पर चाहे दया भी की जाए तौभी वह धर्म को न सीखेगा; धर्मराज्य में भी वह कुटिलता करेगा, और यहोवा को महात्म्य उसे सूफ न पकेगा।।
 
11 हे यहोवा, तेरा हाथ बढ़ा हुआ है, पर वे नहीं देखते। परन्तु वे जानेंगे कि तुझे प्रजा के लिथे कैसी जलन है, और लजाएंगे।
 
12 तेरे बैरी आग से भस्म होंगे। हे यहोवा, तू हमारे लिथे शान्ति ठहराएगा, हम ने जो कुछ किया है उसे तू ही ने हमारे लिथे किया है।
 
13 हे हमारे परमेश्वर यहोवा, तेरे सिवाय और स्वामी भी हम पर प्रभुता करते थे, परन्तु तेरी कृपा से हम केवल तेरे ही नाम का गुणानुवाद करेंगे।
 
14 वे मर गए हैं, फिर कभी जीवित नहीं होंगे; उनको मरे बहुत दिन हुए, वे फिर नहीं उठने के; तू ने उनका विचार करके उनको ऐसा नाश किया कि वे फिर स्मरण में न आएंगे।
 
15 परन्तु तू ने जाति को बढ़ाया; हे यहोवा, तू ने जाति को बढ़ाया है; तू ने अपक्की महिमा दिखाई है और उस देश के सब सिवानोंको तू ने बढ़ाया है।।
 
16 हे यहोवा, दु:ख में वे तुझे स्मरण करते थे, जब तू उन्हें ताड़ना देता या तब वे दबे स्वर से अपके मन की बात तुझ पर प्रगट करते थे।
 
17 जैसे गर्भवती स्त्री जनने के समय ऐंठती और पीड़ोंके कारण चिल्ला उठती है, हम लोग भी, हे यहोवा, तेरे साम्हने वैसे ही हो गए हैं।
 
18 हम भी गर्भवती हुए, हम भी ऐंठें, हम ने मानो वायु ही को जन्म दिया। हम ने देश के लिथे कोई उद्धार का काम नहीं किया, और न जगत के रहनेवाले उत्पन्न हुए।
 
19 तेरे मरे हुए लोग जीवित होंगे, मुर्दे उठ खड़े होंगे। हे मिट्टी में बसनेवालो, जागकर जयजयकार करो! क्योंकि तेरी ओस ज्योति से उत्पन्न होती है, और पृय्वी मुर्दो को लौटा देगी।।
 
20 हे मेरे लोगों, आओ, अपक्की अपक्की कोठरी में प्रवेश करके किवाड़ोंको बन्द करो; योड़ी देर तक जब तक क्रोध शान्त न हो तब तक अपके को छिपा रखो।
 
21 क्योंकि देखो, यहोवा पृय्वी निवासिक्कों अधर्म का दण्ड देने के लिथे अपके स्यान से चला आता है, और पृय्वी अपना खून प्रगट करेगी और घात किए हुओं को और अधिक न छिपा रखेगी।।
 
 

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