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श्रेष्ठगीत Chapter23
 
1 सोर के विषय भारी वचन। हे तर्शीश के जहाजोंहाथ, हाथ, करो; क्योंकि वह उजड़ गया; वहां न तो कोई घर और न कोई शरण का स्यान है! यह बात उनको कित्तियोंके देश में से प्रगट की गई है।
 
2 हे समुद्र के तीर के रहनेवालों, जिनको समुद्र के पार जानेवाले सीदोनी व्यापारियोंने धन से भर दिया है, चुप रहो!
 
3 शीहोर का अन्न, और नील नदी के पास की उपज महासागर के मार्ग से उसको मिनती यी, क्योंकि वह और जातियोंके लिथे व्योपार का स्यान या।
 
4 हे सीदोन, लज्जित हो, क्योंकि समुद्र ने अर्यात्‌ समुद्र के दृढ़ स्थान ने यह कहा है, मैं ने न तो कभी जन्माने की पीड़ा जानी और न बालक को जन्म दिया, और न बेटोंको पाला और न बेटियोंको पोसा है।
 
5 जब सोर का समाचार मिस्र में पहुंचे, तब वे सुनकर संकट में पकेंगे।
 
6 हे समुद्र के तीर के रहनेवालोंहाथ, हाथ, करो! पार होकर तर्शीश को जाओ।
 
7 क्या यह तुम्हारी प्रसन्नता से भरी हुई नगरी है जो प्राचीनकाल से बसी यी, जिसके पांव उसे बसने को दूर ले जाते थे?
 
8 सोर जो राजाओं की गद्दी पर बैठाती यी, जिसके व्योपारी हाकिम थे, और जिसके महाजन पृय्वी भर में प्रतिष्ठित थे, उसके विरूद्ध किस ने ऐसी युक्ति की है?
 
9 सेनाओं के यहोवा ही ने ऐसी युक्ति की है कि समस्त गौरव के घमण्ड को तुच्छ कर दे और पृय्वी के प्रतिष्ठितोंका अपमान करवाए।
 
10 हे तर्शीश के निवासियोंनील नदी की नाई अपके देश में फैल जाओ; अब कुछ बन्धन नहीं रहा।
 
11 उस ने अपना हाथ समुद्र पर बढ़ाकर राज्योंको हिला दिया है; यहोवा ने कनान के दृढ़ किलोंके नाश करने की आज्ञा दी है।
 
12 और उस ने कहा है, हे सीदोन, हे भ्रष्ट की हुई कुमारी, तू फिर प्रसन्न होने की नहीं; उठ, पार होकर कित्तियोंके पास जा, परन्तु वहां भी तुझे चैन न मिलेगा।।
 
13 कसदियोंके देश को देखो, वह जाति अब न रही; अश्शूर ने उस देश को जंगली जन्तुओं का स्यान बनाया। उन्होंने अपके गुम्मट उठाए और राजभवनोंको ढ़ा दिया, और उसको खण्डहर कर दिया।
 
14 हे तर्शीश के जहाजों, हाथ, हाथ, करो, क्योंकि तुम्हारा दृढ़स्यान उजड़ गया है।
 
15 उस समय एक राजा के दिनोंके अनुसार सत्तर वर्ष के बीतने पर सोर वेश्या की नाईं गीत गाने लगेगा।
 
16 हे बिसरी हुई वेश्या, वीणा लेकर नगर में घूम, भली भांति बजा, बहुत गीत गा, जिस से लोग फिर तुझे याद करें।
 
17 सत्तर वर्ष के बीतने पर यहोवा सोर की सुधि लेगा, और वह फिर छिनाले की कमाई पर मन लगाकर धरती भर के सब राज्योंके संग छिनाला करेंगी।
 
18 उसके व्योपार की प्राप्ति, और उसके छिनाले की कमाई, यहोवा के लिथे पवित्र कि जाएगी; वह न भण्डार में रखी जाएगी न संचय की जाएगी, क्योंकि उसके व्योपार की प्राप्ति उन्हीं के काम में आएगी जो यहोवा के साम्हने रहा करेंगे, कि उनको भरपूर भोजन और चमकीला वस्त्र मिले।।
 
 

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