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प्रकाशित वाक्य
 
 

 
 
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व्यवस्थाविवरण Chapter31
 
1 और मूसा ने जाकर यह बातें सब इस्रएलियोंको सुनाईं।
 
2 और उस ने उन से यह भी कहा, कि आज मैं एक सौ बीच वर्ष का हूं; और अब मैं चल फिर नहीं सकता; क्योंकि यहोवा ने मुझ से कहा है, कि तू इस यरदन पार नहीं जाने पाएगा।
 
3 तेरे आगे पार जानेवाला तेरा परमेश्वर यहोवा ही है; वह उन जातियोंको तेरे साम्हने से नष्ट करेगा, और तू उनके देश का अधिक्कारनेी होगा; और यहोवा के वचन के अनुसार यहोशू तेरे आगे आगे पार जाएगा।
 
4 और जिस प्रकार यहोवा ने एमोरियोंके राजा सीहोन और ओग और उनके देश को नष्ट किया है, उसी प्रकार वह उन सब जातियोंसे भी करेगा।
 
5 और जब यहोवा उनको तुम से हरवा देगा, तब तुम उन सारी आज्ञाओं के अनुसार उन से करना जो मैं ने तुम को सुनाई हैं।
 
6 तू हियाव बान्ध और दृढ़ हो, उन से न डर और न भयभीत हो; क्योंकि तेरे संग चलनेवाला तेरा परमेश्वर यहोवा है; वह तुझ को धोखा न देगा और न छोड़ेगा।
 
7 तब मूसा ने यहोशू को बुलाकर सब इस्राएलियोंके सम्मुख कहा, कि तू हियाव बान्ध और दृढ़ हो जा; क्योंकि इन लोगोंके संग उस देश में जिसे यहोवा ने इनके पूर्वजोंसे शपय खाकर देने को कहा या तू जाएगा; और तू इनको उसका अधिक्कारनेी कर देगा।
 
8 और तेरे आगे आगे चलनेवाला यहोवा है; वह तेरे संग रहेगा, और न तो तुझे धोखा देगा और न छोड़ देगा; इसलिथे मत डर और तेरा मन कच्चा न हो।।
 
9 फिर मूसा ने यही व्यवस्या लिखकर लेवीय याजकोंको, जो यहोवा की वाचा के सन्दूक उठानेवाले थे, और इस्राएल के सब वृद्ध लोगोंको सौंप दी।
 
10 तब मूसा ने उनको आज्ञा दी, कि सात सात वर्ष के बीतने पर, अर्यात्‌ उगाही न होने के वर्ष के फोपक्कीवाले पर्व्व में,
 
11 जब सब इस्राएली तेरे परमेश्वर यहोवा के उस स्यान पर जिसे वह चुन लेगा आकर इकट्ठे हों, तब यह व्यवस्या सब इस्राएलियोंको पढ़कर सुनाना।
 
12 क्या पुरूष, क्या स्त्री, क्या बालक, क्या तुम्हारे फाटकोंके भीतर के परदेशी, सब लोगोंको इकट्ठा करना कि वे सुनकर सीखें, और तुम्हारे परमेश्वर यहोवा का भय मानकर, इस व्यवस्या के सारे वचनोंके पालन करने में चौकसी करें,
 
13 और उनके लड़केबाले जिन्होंने थे बातें नहीं सुनीं वे भी सुनकर सींखें, कि तुम्हारे परमेश्वर यहोवा का भय उस समय तक मानते रहें, जब तक तुम उस देश में जीवित रहो जिसके अधिक्कारनेी होने को तुम यरदन पार जा रहे हो।।
 
14 फिर यहोवा ने मूसा से कहा, तेरे मरने का दिन निकट है; तू यहोशू को बुलवा, और तुम दोनोंमिलापवाले तम्बू में आकर उपस्यित हो कि मैं उसको आज्ञा दूं। तब मूसा और यहोशू जाकर मिलापवाले तम्बू में उपस्यित हुए।
 
15 तब यहोवा ने उस तम्बू में बादल के खम्भे में होकर दर्शन दिया; और बादल का खम्भा तम्बू के द्वार पर ठहर गया।
 
16 तब यहोवा ने मूसा से कहा, तू तो अपके पुरखाओं के संग सो जाने पर है; और थे लागे उठकर उस देश के पराथे देवताओं के पीछे जिनके मध्य वे जाकर रहेंगे व्यभिचारी हो जाएंगे, और मुझे त्यागकर उस वाचा को जो मैं ने उन से बान्धी है तोडेंगे।
 
17 उस समय मेरा कोप इन पर भड़केगा, और मैं भी इन्हें त्यागकर इन से अपना मुंह छिपा लूंगा, और थे आहार हो जाएंगे; और बहुत सी विपत्तियां और क्लेश इन पर आ पकेंगे, यहां तक कि थे उस समय कहेंगे, क्या थे विपत्तियां हम पर इस कारण तो नहीं आ पक्कीं, क्योंकि हमारा परमेश्वर हमारे मध्य में नहीं रहा?
 
18 उस समय मैं उन सब बुराइयोंके कारण जो थे पराथे देवताओं की ओर फिरकर करेंगे नि:सन्देह उन से अपना मुंह छिपा लूंगा।
 
19 सो अब तुम यह गीत लिख लो, और तू उसे इस्राएलियोंको सिखाकर कंठ करा देना, इसलिथे कि यह गीत उनके विरूद्ध मेरा साझी ठहरे।
 
20 जब मैं इनको उस देश में पहुंचाऊंगा जिसे देने की मैं ने इनके पूर्वजोंसे शपय खाईं यी, और जिस में दूध और मधु की धाराएं बहती हैं, और खाते-खाते इनका पेट भर जाए, और थे ह्रृष्ट-पुष्ट हो जाएंगे; तब थे पराथे देवताओं की ओर फिरकर उनकी उपासना करने लगेंगे, और मेरा तिरस्कार करके मेरी वाचा को तोड़ देंगे।
 
21 वरन अभी भी जब मैं इन्हें इस देश में जिसके विषय मैं ने शपय खाई है पहुंचा नहीं चुका, मुझे मालूम है, कि थे क्या क्या कल्पना कर रहे हैं; इसलिथे जब बहुत सी विपत्तियां और क्लेश इन पर आ पकेंगे, तब यह गीत इन पर साझी देगा, क्योंकि इनकी सन्तान इसको कभी भी नहीं भूलेगी।
 
22 तब मूसा ने उसी दिन यह गीत लिखकर इस्राएलियोंको सिखाया।
 
23 और उस ने नून के पुत्र यहोशू को यह आज्ञा दी, कि हियाव बान्ध और दृढ़ हो; क्योंकि इस्राएलियोंको उस देश में जिसे उन्हें देने को मैं ने उन से शपय खाई है तू पहुंचाएगा; और मैं आप तेरे संग रहूंगा।।
 
24 जब मूसा इस व्यवस्या के वचन को आदि से अन्त तक पुस्तक में लिख चुका,
 
25 तब उस ने यहोवा के सन्दूक उठानेवाले लेवियोंको आज्ञा दी,
 
26 कि व्यवस्या की इस पुस्तक को लेकर अपके परमेश्वर यहोवा की वाचा के सन्दूक के पास रख दो, कि यह वहां तुझ पर साझी देती रहे।
 
27 क्योंकि तेरा बलवा और हठ मुझे मालूम है; देखो, मेरे जीवित और संग रहते हुए भी तुम यहोवा से बलवा करते आए हो; फिर मेरे मरने के बाद भी क्योंन करोगे!
 
28 तुम अपके गोत्रोंके सब वृद्ध लोगोंको और अपके सरदारोंको मेरे पास इकट्ठा करो, कि मैं उनको थे वचन सुनाकर उनके विरुद्ध आकाश और पृय्वी दोनोंको साझी बनाऊं।
 
29 क्योंकि मुझे मालूम है कि मेरी मृत्यु के बाद तुम बिलकुल बिगड़ जाओगे, और जिस मार्ग में चलने की आज्ञा मैं ने तुम को सुनाई है उसको भी तुम छोड़ दोगे; और अन्त के दिनोंमें जब तुम वह काम करके जो यहोवा की दृष्टि में बुरा है, अपक्की बनाई हुई वस्तुओं की पूजा करके उसको रिस दिलाओगे, तब तुम पर विपत्ति आ पकेगी।।
 
30 तब मूसा ने इस्राएल की सारी सभा को इस गीत के वचन आदि से अन्त तक कह सुनाए:
 
 

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