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प्रकाशित वाक्य
 
 

 
 
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व्यवस्थाविवरण Chapter20
 
1 जब तू अपके शत्रुओं से युद्ध करने को जाए, और घोड़े, रय, और अपके से अधिक सेना को देखे, तब उन से न डरना; तेरा परमेश्वर यहोवा जो तुझ को मिस्र देश से निकाल ले आया है वह तेरे संग है।
 
2 और जब तुम युद्ध करने को शत्रुओं के निकट जाओ, तब याजक सेना के पास आकर कहे,
 
3 हे इस्राएलियोंसुनो, आज तुम अपके शत्रुओं से युद्ध करने को निकट आए हो; तुम्हारा मन कच्चा न हो; तुम मत डरो, और न यरयराओ, और न उनके साम्हने भय खाओ;
 
4 क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हारे शत्रुओं से युद्ध करने और तुम्हें बचाने के लिथे तुम्हारे संग चलता है।
 
5 फिर सरदार सिपाहियोंसे यह कहें, कि तुम में से कौन है जिस ने नया घर बनाया हो और उसका समर्पण न किया हो? तो वह अपके घर को लौट जाए और दूसरा मनुष्य उसका समर्पण करे।
 
6 और कौन है जिस ने दाख की बारी लगाई हो, परन्तु उसके फल न खाए हों? वह भी अपके घर को लौट जाए, ऐसा न हो कि वह संग्राम में मारा जाए, और दूसरा मनुष्य उसके फल खाए।
 
7 फिर कौन है जिस ने किसी स्त्री से ब्याह की बात लगाई हो, परन्तु उसको ब्याह न लाया हो? वह भी अपके घर को लौट जाए, ऐसा न हो कि वह युद्ध में मारा जाए, और दूसरा मनुष्य उस से ब्याह कर ले।
 
8 इसके अलावा सरदार सिपाहियोंसे यह भी कहें, कि कौन कौन मनुष्य है जो डरपोक और कच्चे मन का है, वह भी अपके घर को लौट जाए, ऐसा न हो कि उसकी देखा देखी उसके भाइयोंका भी हियाव टूट जाए।
 
9 और जब प्रधान सिपाहियोंसे यह कह चुकें, तब उन पर प्रधानता करने के लिथे सेनापतियोंको नियुक्त करें।।
 
10 जब तू किसी नगर से युद्ध करने को उनके निकट जाए, तब पहिले उस से सन्धि करने का समाचार दे।
 
11 और यदि वह सन्धि करना अंगीकार करे और तेरे लिथे अपके फाटक खोल दे, तब जितने उस में होंवे सब तेरे अधीन होकर तेरे लिथे बेगार करनेवाले ठहरें।
 
12 परन्तु यदि वे तुझ से सन्धि न करें, परन्तु तुझ से लड़ना चाहें, तो तू उस नगर को घेर लेना;
 
13 और जब तेरा परमेश्वर यहोवा उसे तेरे हाथ में सौंप दे तब उस में के सब पुरूषोंको तलवार से मार डालना।
 
14 परन्तु स्त्रियां और बालबच्चे, और पशु आदि जितनी लूट उस नगर में हो उसे अपके लिथे रख लेना; और तेरे शत्रुओं की लूट जो तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे दे उसे काम में लाना।
 
15 इस प्रकार उन नगरोंसे करना जो तुझ से बहुत दूर हैं, और इन जातियोंके नगर नहीं हैं।
 
16 परन्तु जो नगर इन लोगोंके हैं, जिनका अधिक्कारनेी तेरा परमेश्वर यहोवा तुझ को ठहराने पर है, उन में से किसी प्राणी को जीवित न रख छोड़ना,
 
17 परन्तु उनको अवश्य सत्यानाश करना, अर्यात्‌ हित्तियों, एमोरियों, कनानियों, परिज्जियों, हिव्वियों, और यबूसिक्कों, जैसे कि तेरे परमेश्वर यहोवा ने तुझे आज्ञा दी है;
 
18 ऐसा न हो कि जितने घिनौने काम वे अपके देवताओं की सेवा में करते आए हैं वैसा ही करना तुम्हें भी सिखाएं, और तुम अपके परमेश्वर यहोवा के विरूद्ध पाप करने लगो।।
 
19 जब तू युद्ध करते हुए किसी नगर को जीतने के लिथे उसे बहुत दिनोंतक घेरे रहे, तब उसके वृझोंपर कुल्हाड़ी चलाकर उन्हें नाश न करना, क्योंकि उनके फल तेरे खाने के काम आएंगे, इसलिथे उन्हें न काटना। क्या मैदान के वृझ भी मनुष्य हैं कि तू उनको भी घेर रखे?
 
20 परन्तु जिन वृझोंके विषय में तू यह जान ले कि इनके फल खाने के नहीं हैं, तो उनको काटकर नाश करना, और उस नगर के विरूद्ध उस समय तक कोट बान्धे रहना जब तक वह तेरे वश में न आ जाए।।
 
 

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