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प्रकाशित वाक्य
 
 

 
 
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व्यवस्थाविवरण Chapter10
 
1 उस समय यहोवा ने मुझ से कहा, पहिली पटियाओं के समान पत्यर की दो और पटियाएं गढ़ ले, और उन्हें लेकर मेरे पास पर्वत के ऊपर आ जा, और लकड़ी का एक सन्दूक भी बनवा ले।
 
2 और मैं उन पटियाओं पर वे ही वचन लिखूंगा, जो उन पहिली पटियाओं पर थे, जिन्हें तू ने तोड़ डाला, और तू उन्हें उस सन्दूक में रखना।
 
3 तब मैं ने बबूल की लकड़ी का एक सन्दूक बनवाया, और पहिली पटियाओं के समान पत्यर की दो और पटियाएं गढ़ीं, तब उन्हें हाथोंमें लिथे हुए पर्वत पर चढ़ गया।
 
4 और जो दस वचन यहोवा ने सभा के दिन पर्वत पर अग्नि के मध्य में से तुम से कहे थे, वे ही उस ने पहिलोंके समान उन पटियाओं पर लिखे; और उनको मुझे सौंप दिया।
 
5 तब मै पर्वत से नीचे उतर आया, और पटियाओं को अपके बनवाए हुए सन्दूक में धर दिया; और यहोवा की आज्ञा के अनुसार वे वहीं रखीं हुई हैं।
 
6 तब इस्राएली याकानियोंके कुओं से कूच करके मोसेरा तक आए। वहां हारून मर गया, और उसको वहीं मिट्टी दी गई; और उसका पुत्र एलीआजर उसके स्यान पर याजक का काम करने लगा।
 
7 वे वहां से कूच करके गुदगोदा को, और गुदगोदा से योतबाता को चले, इस देश में जल की नदियां हैं।
 
8 उस समय यहोवा ने लेवी गोत्र को इसलिथे अलग किया कि वे यहोवा की वाचा का सन्दूक उठाया करें, और यहोवा के सम्मुख खड़े होकर उसकी सेवाटहल किया करें, और उसके नाम से आशीर्वाद दिया करें, जिस प्रकार कि आज के दिन तक होता आ रहा है।
 
9 इस कारण लेवियोंको अपके भाईयोंके साय कोई निज अंश वा भाग नहीं मिला; यहोवा ही उनका निज भाग है, जैसे कि तेरे परमेश्वर यहोवा ने उन से कहा या।
 
10 मैं तो पहिले की नाई उस पर्वत पर चालीस दिन और चालीस रात ठहरा रहा, और उस बार भी यहोवा ने मेरी सुनी, और तुझे नाश करने की मनसा छोड़ दी।
 
11 फिर यहोवा ने मुझ से कहा, उठ, और तू इन लोगोंकी अगुवाई कर, ताकि जिस देश के देने को मैं ने उनके पूर्वजोंसे शपय खाकर कहा या उस में वे जाकर उसको अपके अधिक्कारने में कर लें।।
 
12 और अब, हे इस्राएल, तेरा परमेश्वर यहोवा तुझ से इसके सिवाय और क्या चाहता है, कि तू अपके परमेश्वर यहोवा का भय मानें, और उसके सारे मार्गोंपर चले, उस से प्रेम रखे, और अपके पूरे मन और अपके सारे प्राण से उसकी सेवा करे,
 
13 और यहोवा की जो जो आज्ञा और विधि मैं आज तुझे सुनाता हूं उनको ग्रहण करे, जिस से तेरा भला हो?
 
14 सुन, स्वर्ग और सब से ऊंचा स्वर्ग भी, और पृय्वी और उस में जो कुछ है, वह सब तेरे परमेश्वर यहोवा ही का है;
 
15 तौभी यहोवा ने तेरे पूर्वजोंसे स्नेह और प्रेम रखा, और उनके बाद तुम लोगोंको जो उनकी सन्तान हो सर्व देशोंके लोगोंके मध्य में से चुन लिया, जैसा कि आज के दिन प्रगट है।
 
16 इसलिथे अपके अपके ह्रृदय का खतना करो, और आगे को हठीले न रहो।
 
17 क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा वही ईश्वरोंका परमेश्वर और प्रभुओं का प्रभु है, वह महान्‌ पराक्रमी और भय योग्य ईश्वर है, जो किसी का पझ नहीं करता और न घूस लेता है।
 
18 वह अनायोंऔर विधवा का न्याय चुकाता, और परदेशियोंसे ऐसा प्रेम करता है कि उन्हें भोजन और वस्त्र देता है।
 
19 इसलिथे तुम भी परदेशियोंसे प्रेम भाव रखना; क्योंकि तुम भी मिस्र देश में पकेदशी थे।
 
20 अपके परमेश्वर यहोवा का भय मानना; उसी की सेवा करना और उसी से लिपके रहना, और उसी के नाम की शपय खाना।
 
21 वही तुम्हारी स्तुति के योग्य है; और वही तेरा परमेश्वर है, जिस ने तेरे साय वे बड़े महत्व के और भयानक काम किए हैं, जिन्हें तू ने अपक्की आंखोंसे देखा है।
 
22 तेरे पुरखा जब मिस्र में गए तब सत्तर ही मनुष्य थे; परन्तु अब तेरे परमेश्वर यहोवा ने तेरी गिनती आकाश के तारोंके समान बहुत कर दिया है।।
 
 

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