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Psalms 117:1       
 
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प्रकाशित वाक्य
 
 

 
 
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श्रेष्ठगीत Chapter5
 
1 हे मेरी बहिन, हे मेरी दुल्हिन, मैं अपक्की बारी में आया हूं, मैं ने अपना गन्धरस और बलसान चुन लिया; मैं ने मधु समेत छत्ता खा लिया, मैं ने दूध और दाखमधु भी लिया।। हे मित्रों, तुम भी खाओ, हे प्यारों, पियो, मनमाना पियो!
 
2 मैं मोती यी, परन्तु मेरा मन जागता या। सुन! मेरा प्रेमी खटखटाता है, और कहता है, हे मेरी बहिन, हे मेरी प्रिय, हे मेरी कबूतरी, हे मेरी निर्मल, मेरे लिथे द्वार खोल; क्योंकि मेरा सिर ओस से भरा है, और मेरी लटें रात में गिरी हुई बून्दोंसे भीगी हैं।
 
3 मैं अपना वस्त्र उतार चुकी यी मैं उसे फिर कैसे पहिनूं? मैं तो अपके पांव धो चुकी यी अब उनको कैसे मैला करूं?
 
4 मेरे प्रेमी ने अपना हाथ किवाड़ के छेद से भीतर डाल दिया, तब मेरा ह्रृदय उसके लिथे उभर उठा।
 
5 मैं अपके प्रेमी के लिथे द्वार खोलने को उठी, और मेरे हाथोंसे गन्धरस टपका, और मेरी अंगुलियोंपर से टपकता हुआ गन्धरस बेण्डे की मूठोंपर पड़ा।
 
6 मैं ने अपके प्रेमी के लिथे द्वार तो खोला परन्तु मेरा प्रेमी मुड़कर चला गया या। जब वह बोल रहा या, तब मेरा प्राण घबरा गया या मैं ने उसको ढूंढ़ा, परन्तु न पाया; मैं ने उसको पुकारा, परन्तु उस ने कुछ उत्तर न दिया।
 
7 पहरेवाले जो नगर में घूमते थे, मुझे मिले, उन्होंने मुझे मारा और घायल किया; शहरपनाह के पहरूओं ने मेरी चद्दर मुझ से छीन ली।
 
8 हे यरूशलेम की पुत्रियों, मैं तुम को शपय धराकर कहती हूं, यदि मेरा प्रेमी तुमको मिल जाए, तो उस से कह देना कि में प्रेम में रोगी हूं।
 
9 हे स्त्रियोंमें परम सुन्दरी तेरा प्रेमी और प्रेमियोंसे किस बात में उत्तम है? तू क्योंहम को ऐसी शपय धराती है?
 
10 मेरा प्रेमी गोरा और लाल सा है, वह दस हजार में उत्तम है।
 
11 उसका सिर चोखा कुन्दन है; उसकी लटकती हुई लटें कौवोंकी नाई काली हैं।
 
12 उसकी आंखें उन कबूतरोंके समान हैं जो दुध में नहाकर नदी के किनारे अपके फुण्ड में एक कतार से बैठे हुए हों।
 
13 उसके गाल फूलोंकी फुलवारी और बलसान की उभरी हुई क्यारियां हैं। उसके होंठ सोसन फूल हैं जिन से पिघला हुआ गन्धरस टपकता है।।
 
14 उसके हाथ फीरोजा जड़े हुए सोने के किवाड़ हैं। उसका शरीर नीलम के फूलोंसे जड़े हुए हाथीदांत का काम है।
 
15 उसके पांव कुन्दन पर बैठाथे हुए संगमर्मर के खम्भे हैं। वह देखने में लबानोन और सुन्दरता में देवदार के वृझोंके समान मनोहर है।
 
16 उसकी वाणी अति मधुर है, हां वह परम सुन्दर है। हे यरूशलेम की पुत्रियो, यही मेरा प्रेमी और यही मेरा मित्र है।।
 
 

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