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न्यायियों Chapter9
 
1 यरूब्बाल का पुत्र अबीमेलेक शकेम को अपके मामाओं के पास जाकर उन से और अपके नाना के सब घराने से योंकहने लगा,
 
2 शकेम के सब मनुष्योंसे यह पूछो, कि तुम्हारे लिथे क्या भला है? क्या यह कि यरूब्बाल के सत्तर पुत्र तुम पर प्रभुता करें? वा यह कि एक ही पुरूष तुम पर प्रभुता करे? और यह भी स्मरण रखो कि मैं तुम्हारा हाड़ मांस हूं।
 
3 तब उसके मामाओं ने शकेम के सब मनुष्योंसे ऐसी ही बातें कहीं; और उन्होंने यह सोचकर कि अबीमेलेक तो हमारा भाई है अपना मन उसके पीछे लगा दिया।
 
4 तब उन्होंने बालबरीत के मन्दिर में से सत्तर टुकड़े रूपे उसको दिए, और उन्हें लगाकर अबीमेलेक ने नीच और लुच्चे जन रख लिए, जो उसके पीछे हो लिए।
 
5 तब उस ने ओप्रा में अपके पिता के घर जाके अपके भाइयोंको जो यरूब्बाल के सत्तर पुत्र थे एक ही पत्यर पर घात किया; परन्तु यरूब्बाल का योताम नाम लहुरा पुत्र छिपकर बच गया।।
 
6 तब शकेम के सब मनुष्योंऔर बेतमिल्लो के सब लोगोंने इकट्ठे होकर शकेम के खम्भे से पासवाले बांजवृझ के पास अबीमेलेक को राजा बनाया।
 
7 इसका समाचार सुनकर योताम गरिज्जीम पहाड़ की चोटी पर जाकर खड़ा हुआ, और ऊंचे स्वर से पुकारा के कहने लगा, हे शकेम के मनुष्यों, मेरी सुनो, इसलिथे कि परमेश्वर तुम्हारी सुनें।
 
8 किसी युग में वृझ किसी का अभिषेक करके अपके ऊपर राजा ठहराने को चले; तब उन्होंने जलपाई के वृझ से कहा, तू हम पर राज्य कर।
 
9 तब जलपाई के वृझ ने कहा, क्या मैं अपक्की उस चिकनाहट को छोड़कर, जिस से लोग परमेश्वर और मनुष्य दोनोंका आदर मान करते हैं, वृझोंका अधिक्कारनेी होकर इधर उधर डोलने को चलूं?
 
10 तब वृझोंने अंजीर के वृझ से कहा, तू आकर हम पर राज्य कर।
 
11 अंजीर के वृझ ने उन से कहा, क्या मैं अपके मीठेपन और अपके अच्छे अच्छे फलोंको छोड़ वृझोंका अधिक्कारनेी होकर इधर उधर डोलने को चलूं?
 
12 फिर वृझोंने दाखलता से कहा, तू आकर हम पर राज्य कर।
 
13 दाखलता ने उन से कहा, क्या मैं अपके नथे मधु को छोड़, जिस से परमेश्वर और मनुष्य दोनोंको आनन्द होता है, वृझोंकी अधिक्कारनेिणी होकर इधर उधर डोलने को चलूं?
 
14 तब सब वृझोंने फड़बेरी से कहा, तू आकर हम पर राज्य कर।
 
15 फड़बेरी ने उन वृझोंसे कहा, यदि तुम अपके ऊपर राजा होने को मेरा अभिषेक सच्चाई से करते हो, तो आकर मेरी छांह में शरण लो; और नहीं तो, फड़बेरी से आग निकलेगी जिस से लबानोन के देवदारू भी भस्म हो जाएंगे।
 
16 इसलिथे अब यदि तुम ने सच्चाई और खराई से अबीमेलेक को राजा बनाया है, और यरूब्बाल और उसके घराने से भलाई की, और उस ने उसके काम के योग्य बर्ताव किया हो, तो भला।
 
17 (मेरा पिता तो तुम्हारे निमित्त लड़ा, और अपके प्राण पर खेलकर तुम को मिद्यानियोंके हाथ से छुड़ाया;
 
18 परन्तु तुम ने आज मेरे पिता के घराने के विरूद्ध उठकर बलवा किया, और उसके सत्तर पुत्र एक ही पत्यर पर घात किए, और उसकी लौंड़ी के पुत्र अबीमेलेक को इसलिथे शकेम के मनुष्योंके ऊपर राजा बनाया है कि वह तुम्हारा भाई है);
 
19 इसलिथे यदि तुम लोगोंने आज के दिन यरूब्बाल और उसके घराने से सच्चाई और खराई से बर्ताव किया हो, तो अबीमेलेक के कारण आनन्द करो, और वह भी तुम्हारे कारण आनन्द करे;
 
20 और नहीं, तो अबीमेलेक से ऐसी आग निकले जिस से शकेम के मनुष्य और बेतमिल्लो भस्म हो जाएं: शकेम के मनुष्योंऔर बेतमिल्लो से ऐसी आग निकले जिस से अबीमेलेक भस्म हो जाए।
 
21 तब योताम भागा, और अपके भाई अबीमेलेक के डर के मारे बेर को जाकर वहां रहने लगा।।
 
22 और अबीमेलेक इस्राएल के ऊपर तीन वर्ष हाकिम रहा।
 
23 तब परमेश्वर ने अबीमेलेक और शकेम के मनुष्योंके बीच एक बुरी आत्मा भेज दी; सो शकेम के मनुष्य अबीमेलेक का विश्वासघात करने लगे;
 
24 जिस से यरूब्बाल के सत्तर पुत्रोंपर किए हुए उपद्रव का फल भोगा जाए, और उनका कुल उनके घात करनेवाले उनके भाई अबीमेलेक के सिर पर, और उसके अपके भाइयोंके घात करने में उसकी सहाथता करनेवाले शकेम के मनुष्योंके सिर पर भी हो।
 
25 तब शकेम के मनुष्योंने पहाड़ोंकी चोटियोंपर उसके लिथे घातकोंको बैठाया, जो उस मार्ग से सब आने जानेवालोंको लूटते थे; और इसका समाचार अबीमेलेक को मिला।।
 
26 तब एबेद का पुत्र गाल अपके भाइयोंसमेत शकेम में आया; और शकेम के मनुष्योंने उसका भरोसा किया।
 
27 और उन्होंने मैदान में जाकर अपक्की अपक्की दाख की बारियोंके फल तोड़े और उनका रस रौन्दा, और स्तुति का बलिदान कर अपके देवता के मन्दिर में जाकर खाने पीने और अबीमेलेक को कोसने लगे।
 
28 तब एबेद के पुत्र गाल ने कहा, अबीमेलेक कौन है? शकेम कौन है कि हम उसके अधीन रहें? क्या वह यरूब्बाल का पुत्र नहीं? शकेम के पिता हमोर के लोगोंके तो अधीन हो, परन्तु हमे उसके अधीन क्योंरहें?
 
29 और यह प्रजा मेरे वश में होती हो क्या ही भला होता! तब तो मैं अबीमेलेक को दूर करता। फिर उस ने अबीमेलेक से कहा, अपक्की सेना की गिनती बढ़ाकर निकल आ।
 
30 एबेद के पुत्र गाल की वे बातें सुनकर नगर के हाकिम जबूल का क्रोध भड़क उठा।
 
31 और उस ने अबीमेलेक के पास छिपके दूतोंसे कहला भेजा, कि एबेद का पुत्र गाल और उसके भाई शकेम में आके नगरवालोंको तेरा विरोध करने को उसका रहे हैं।
 
32 इसलिथे तू अपके संगवालोंसमेत रात को उठकर मैदान में घात लगा।
 
33 फिर बिहान को सवेरे सूर्य के निकलते ही उठकर इस नगर पर चढ़ाई करना; और जब वह अपके संगवालोंसमेत तेरा साम्हना करने को निकले तब जो तुझ से बन पके वही उस से करना।।
 
34 तब अबीमेलेक और उसके संग के सब लोग रात को उठ चार फुण्ड बान्धकर शकेम के विरूद्ध घात में बैठ गए।
 
35 और एबेद का पुत्र गाल बाहर जाकर नगर के फाटक में खड़ा हुआ; तब अबीमेलेक और उसके संगी घात छोड़कर उठ खड़े हुए।
 
36 उन लोगोंको देखकर गाल जबूल से कहने लगा, देख, पहाड़ोंकी चोटियोंपर से लोग उतरे आते हैं! जबूल ने उस से कहा, वह तो पहाड़ोंही छाया है जो तुझे मनुष्योंके समान देख पड़ती है।
 
37 गाल ने फिर कहा, देख, लोग देश के बीचोंबीच होकर उतरे आते हैं, और एक फुण्ड मोननीम नाम बांज वृझ के मार्ग से चला आता है।
 
38 जबूल ने उस से कहा, तेरी यह बात कहां रही, कि अबीमेलेक कौन है कि हम उसके अधीन रहें? थे तो वे ही लोग हैं जिनको तू ने निकम्मा जाना या; इसलिथे अब निकलकर उन से लड़।
 
39 तब गाल शकेम के पुरूषोंका अगुवा हो बाहर निकलकर अबीमेलेक से लड़ा।
 
40 और अबीमेलेक ने उसको खदेड़ा, और अबीमेलेक के साम्हने से भागा; और नगर के फाटक तक पहुंचते पहुंचते बहुतेरे घायल होकर गिर पके।
 
41 तब अबीमेलेक अरूमा में रहने लगा; और जबूल ने गाल और उसके भाइयोंको निकाल दिया, और शकेम में रहने न दिया।
 
42 दूसरे दिन लोग मैदान में निकल गए; और यह अबीमेलेक को बताया गया।
 
43 और उस ने अपक्की सेना के तीन दल बान्धकर मैदान में घात लगाई; और जब देखा कि लोग नगर से निकले आते हैं तब उन पर चढ़ाई करके उन्हें मार लिया।
 
44 अबीमेलेक अपके संग के दलोंसमेत आगे दौड़कर नगर के फाटक पर खड़ा हो गया, और दो दलोंने उन सब लोगोंपर धावा करके जो मैदान में थे उन्हें मार डाला।
 
45 उसी दिन अबीमेलेक ने नगर से दिन भर लड़कर उसको ले दिया, और उसके लोगोंको घात करके नगर को ढा दिया, और उस पर नमक छिड़कवा दिया।।
 
46 यह सुनकर शकेम के गुम्मट के सब रहनेवाले एलबरीत के मन्दिर के गढ़ में जा घुसे।
 
47 जब अबीमेलेक को यह समाचार मिला कि शकेम के गुम्मट के सब मनुष्य इकट्ठे हुए हैं,
 
48 तब वह अपके सब संगियोंसमेत सलमोन नाम पहाड़ पर चढ़ गया; और हाथ में कुल्हाड़ी ले पेड़ोंमें से एक डाली काटी, ओर उसे उठाकर अपके कन्धे पर रख ली। और अपके संगवालोंसे कहा कि जैसा तुम ने मुझे करते देखा वैसा ही तुम भी फटपट करो।
 
49 तब उन सब लोगोंने भी एक एक डाली काट ली, और अबीमेलेक के पीछे हो उनको गढ़ पर डालकर गढ़ में आग लगाई; तब शकेम के गुम्मट के सब स्त्री पुरूष जो अटकल एक हजार थे मर गए।।
 
50 तब अबीमेलेक ने तेबेस को जाकर उसके साम्हने डेरे खड़े करके उस को ले लिया।
 
51 परन्तु एक नगर के बीच एक दृढ़ गुम्मट या, सो क्या स्त्री पुरूष, नगर के सब लोग भागकर उस में घुसे; और उसे बन्द करके गुम्मट की छत पर चढ़ गए।
 
52 तब अबीमेलेक गुम्मट के निकट जाकर उसके विरूद्ध लड़ने लगा, और गुम्मट के द्वार तक गया कि उस में आग लगाए।
 
53 तब किसी स्त्री ने चक्की के ऊपर का पाट अबीमेलेक के सिर पर डाल दिया, और उसकी खोपक्की फट गई।
 
54 तब उस ने फट अपके हयियारोंके ढोनेवाले जवान को बुलाकर कहा, अपक्की तलवार खींचकर मुझे मार डाल, ऐसा न हो कि लोग मेरे विषय में कहने पाएं, कि उसको एक स्त्री ने घात किया। तब उसके जवान ने तलवार भोंक दी, और वह मर गया।
 
55 यह देखकर कि अबीमेलेक मर गया है इस्राएली अपके अपके स्यान को चले गए।
 
56 इस प्रकार जो दुष्ट काम अबीमेलेक ने अपके सत्तर भाइयोंको घात करके अपके पिता के साय किया या, उसको परमेश्वर ने उसके सिर पर लौटा दिया;
 
57 और शकेम के पुरूषोंके भी सब दुष्ट काम परमेश्वर ने उनके सिर पर लौटा दिए, और यरूब्बाल के पुत्र योताम का शाप उन पर घट गया।।
 
 

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