Bible-Server.org  
 
 
Praise the Lord, all ye nations      
Psalms 117:1       
 
enter keywords   match
 AND find keywords in

Home Page
Genesis
उत्पत्ति
Exodus
निर्गमन
Leviticus
लैव्यवस्था
Numbers
गिनती
Deuteronomy
व्यवस्थाविवरण
Joshua
यहोशू
Judges
न्यायियों
Ruth
रूत
1 Samuel
1 शमूएल
2 Samuel
2 शमूएल
1 Kings
1 राजा
2 Kings
2 राजा 
1 Chronicles
1 इतिहास
2 Chronicles
2 इतिहास
Ezra
एज्रा
Nehemiah
नहेमायाह
Esther
एस्तेर
Job
अय्यूब
Psalms
भजन संहिता
Proverbs
नीतिवचन
Ecclesiastes
सभोपदेशक
Song of Solomon
श्रेष्ठगीत
Isaiah
श्रेष्ठगीत
Jeremiah
यिर्मयाह
Lamentations
विलापगीत
Ezekiel
यहेजकेल
Daniel
दानिय्येल
Hosea
होशे
Joel
योएल
Amos
आमोस
Obadiah
ओबद्दाह
Jonah
योना
Micah
मीका
Nahum
नहूम
Habakkuk
हबक्कूक
Zephaniah
सपन्याह
Haggai
हाग्गै
Zechariah
जकर्याह
Malachi
मलाकी
Matthew
मत्ती
Mark
मरकुस
Luke
लूका
John
यूहन्ना
Acts
प्रेरितों के काम
Romans
रोमियो
1 Corinthians
1 कुरिन्थियों
2 Corinthians
2 कुरिन्थियों
Galatians
गलातियों
Ephesians
इफिसियों
Philippians
फिलिप्पियों
Colossians
कुलुस्सियों
1 Thessalonians
1 थिस्सलुनीकियों
2 Thessalonians
2 थिस्सलुनीकियों
1 Timothy
1 तीमुथियुस
2 Timothy
2 तीमुथियुस
Titus
तीतुस
Philemon
फिलेमोन
Hebrews
इब्रानियों
James
याकूब
1 Peter
1 पतरस
2 Peter
2 पतरस
1 John
1 यूहन्ना
2 John
2 यूहन्ना
3 John
3 यूहन्ना
Jude
यहूदा
Revelation
प्रकाशित वाक्य
 
 

 
 
translate into
अय्यूब Chapter37
 
1 फिर इस बात पर भी मेरा ह्रृदय कांपता है, और अपके स्यान से उछल पड़ता है।
 
2 उसके बोलने का शब्द तो सुनो, और उस शब्द को जो उसके मुंह से निकलता है सुनो।
 
3 वह उसको सारे आकाश के तले, और अपक्की बिजली को पृय्वी की छोर तक भेजता है।
 
4 उसके पीछे गरजने का शब्द होता है; वह अपके प्रतापी शब्द से गरजता है, और जब उसका शब्द सुनाई देता है तब बिजली लगातार चमकने लगती है।
 
5 ईश्वर गरजकर अपना शब्द अद्भूत रीति से सुनाता है, और बड़े बड़े काम करता है जिनको हम नहीं समझते।
 
6 वह तो हिम से कहता है, पृय्वी पर गिर, और इसी प्रकार मेंह को भी और मूसलाधार वर्षा को भी ऐसी ही आज्ञा देता है।
 
7 वह सब मनुष्योंके हाथ पर मुहर कर देता है, जिस से उसके बनाए हुए सब मनुष्य उसको पहचानें।
 
8 तब वनपशु गुफाओं में घुस जाते, और अपक्की अपक्की मांदोंमें रहते हैं।
 
9 दक्खिन दिशा से बवणडर और उतरहिया से जाड़ा आता है।
 
10 ईश्वर की श्वास की फूंक से बरफ पड़ता है, तब जलाशयोंका पाट जम जाता है।
 
11 फिर वह घटाओं को भाफ़ से लादता, और अपक्की बिजली से भरे हुए उजियाले का बादल दूर तक फैलाता है।
 
12 वे उसकी बुद्धि की युक्ति से इधर उधर फिराए जाते हैं, इसलिथे कि जो आज्ञा वह उनको दे, उसी को वे बसाई हुई पृय्वी के ऊपर पूरी करें।
 
13 चाहे ताड़ना देने के लिथे, चाहे अपक्की पृय्वी की भलाई के लिथे वा मनुष्योंपर करुणा करने के लिथे वह उसे भेजे।
 
14 हे अय्यूब ! इस पर कान लगा और सुन ले; चुपचाप खड़ा रह, और ईश्वर के आश्चर्यकमॉं का विचार कर।
 
15 क्या तू जानता है, कि ईश्वर क्योंकर अपके बादलोंको आज्ञा देता, और अपके बादल की बिजली को चमकाता है?
 
16 क्या तू घटाओं का तौलना, वा सर्वज्ञानी के आश्चर्यकर्म जानता है?
 
17 जब पृय्वी पर दक्खिनी हवा ही के कारण से सन्नाटा रहता है तब तेरे वस्त्र गर्म हो जाते हैं?
 
18 फिर क्या तू उसके साय आकाशमणडल को तान सकता है, जो ढाले हुए दर्पण के तुल्य दृढ़ है?
 
19 तू हमें यह सिखा कि उस से क्या कहना चाहिथे? क्योंकि हम अन्धिक्कारने के कारण अपना व्याख्यान ठीक नहीं रच सकते।
 
20 क्या उसको बनाया जाए कि मैं बोलना चाहता हूँ? क्या कोई अपना सत्यानाश चाहता है?
 
21 अभी तो आकाशमणडल में का बड़ा प्रकाश देखा नहीं जाता जब वायु चलकर उसको शुद्ध करती है।
 
22 उत्तर दिशा से सुनहली ज्योति आती है ईश्वर भययोग्य तेज से आभूषित है।
 
23 सर्वशक्तिमान जो अति सामयीं है, और जिसका भेद हम पा नहीं सकते, वह न्याय और पूर्ण धर्म को छोड़ अत्याचार नहीं कर सकता।
 
24 इसी कारण सज्जन उसका भय मानते हैं, और जो अपक्की दृष्टि में बुद्धिमान हैं, उन पर वह दृष्टि नहीं करता।
 
 

  [ Prev ] 1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 | [ Next ]