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प्रकाशित वाक्य
 
 

 
 
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श्रेष्ठगीत Chapter9
 
1 तौभी संकट-भरा अन्धकार जाता रहेगा। पहिले तो उस ने जबूलून और नप्ताली के देशोंका अपमान किया, परन्तु अन्तिम दिनोंमें ताल की ओर यरदन के पार की अन्यजातियोंके गलील को महिमा देगा।
 
2 जो लोग अन्धिक्कारने में चल रहे थे उन्होंने बड़ा उजियाला देखा; और जो लोग घोर अन्धकार से भरे हुए मृत्यु के देश में रहते थे, उन पर ज्योति चमकी।
 
3 तू ने जाति को बढ़ाया, तू ने उसको बहुत आनन्द दिया; वे तेरे साम्हने कटनी के समय का सा आनन्द करते हैं, और ऐसे मगन हैं जैसे लोग लूट बांटने के समय मगन रहते हैं।
 
4 क्योंकि तू ने उसकी गर्दन पर के भारी जूए और उसके बहंगे के बांस, उस पर अंधेर करनेवाले की लाठी, इन सभोंको ऐसा तोड़ दिया है जेसे मिद्यानियोंके दिन में किया या।
 
5 क्योंकि युद्ध में लड़नेवाले सिपाहियोंके जूते और लोहू में लयड़े हुए कपके सब आग का कौर हो जाएंगे।
 
6 क्योंकि हमारे लिथे एक बालक उत्पन्न हुआ, हमें एक पुत्र दिया गया है; और प्रभुता उसके कांधे पर होगी, और उसका नाम अद्‌भुत युक्ति करनेवाला पराक्रमी परमेश्वर, अनन्तकाल का पिता, और शान्ति का राजकुमार रखा जाएगा।
 
7 उसकी प्रभुता सर्वदा बढ़ती रहेगी, और उसकी शान्ति का अन्त न होगा, इसलिथे वि उसको दाऊद की राजगद्दीपर इस समय से लेकर सर्वदा के लिथे न्याय और धर्म के द्वारा स्यिर किए ओर संभाले रहेगा। सेनाओं के यहोवा की धुन के द्वारा यह हो जाएगा।।
 
8 प्रभु ने याकूब के पास एक संदेश भेजा है, और वह इस्राएल पर प्रगट हुआ है;
 
9 और सारी प्रजा को, एप्रैमियोंऔर शोमरोनवासिक्कों मालूम हो जाएगा जो गर्व और कठोरता से बोलते हैं: ईंटें तो गिर गई हैं,
 
10 परन्तु हम गढ़ें हुए पत्यरोंसे घर बनाएंगे; गूलर के वृझ तो कट गए हैं परन्तु हम उनकी सन्ती देवदारोंसे काम लेंगे।
 
11 इस कारण यहोवा उन पर रसीन के बैरियोंको प्रबल करेगा,
 
12 और उनके शत्रुओं को अर्यात्‌ पहिले आराम को और तब पलिश्तियोंको उभारेगा, और वे मुंह खोलकर इस्राएलियोंको निगल लेंगे। इतने पर भी उसका क्रोध शान्त नहीं हुआ और उसका हाथ अब तक बढ़ा हुआ है।।
 
13 तौभी थे लोग अपके मारनेवाले की ओर नहीं फिरे और न सेनाओं के यहोवा की खोज करते हैं।
 
14 इस कारण यहोवा इस्राएल में से सिर और पूंछ को, खजूर की डालियोंऔर सरकंडे को, एक ही दिन में काट डालेगा।
 
15 पुरनिया और प्रतिष्ठित पुरूष तो सिर हैं, और फूठी बातें सिखानेवाला नबी पूंछ है;
 
16 क्योंकि जो इन लोगोंकी अगुवाई करते हैं वे इनको भटका देते हैं, और जिनकी अगुवाई होती है वे नाश हो जाते हैं।
 
17 इस कारण प्रभु न तो इनके जवानोंसे प्रसन्न होगा, और न इनके अनाय बालकोंऔर विधवाओं पर दया करेगा; क्योंकि हर एक के मुख से मूर्खता की बातें निकलती हैं। इतने पर भी उसका क्रोध शान्त नहीं हुआ और उसका हाथ अब तक बढ़ा हुआ है।।
 
18 क्योंकि दुष्टता आग की नाई धधकती है, वह ऊंटकटारोंऔर कांटोंको भस्म करती है, वरन वह घने वन की फाडिय़ोंमें आग लगाती है और वह धुंआ में चकरा चकराकर ऊपर की ओर उठती है।
 
19 सेनाओं के यहोवा के रोष के मारे यह देश जलाया गया है, और थे लोग आग की ईंधन के समान हैं; वे आपस में एक दूसरे से दया का व्यवहार नहीं करते।
 
20 वे दहिनी ओर से भोजनवस्तु छीनकर भी भूखे रहते, और बाथें ओर से खाकर भी तृप्त नहीं होते; उन में से प्रत्थेक मनुष्य अपक्की अपक्की बांहोंका मांस खाता है,
 
21 मनश्शे एप्रैम को और एप्रैम मनश्शे को खाता है, और वे दोनोंमिलकर यहूदा के विरूद्ध हैं इतने पर भी उसका क्रोध शान्त नहीं हुआ, और उसका हाथ अब तक बढ़ा हुआ है।।
 
 

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