Bible-Server.org  
 
 
Praise the Lord, all ye nations      
Psalms 117:1       
 
enter keywords   match
 AND find keywords in

Home Page
Genesis
उत्पत्ति
Exodus
निर्गमन
Leviticus
लैव्यवस्था
Numbers
गिनती
Deuteronomy
व्यवस्थाविवरण
Joshua
यहोशू
Judges
न्यायियों
Ruth
रूत
1 Samuel
1 शमूएल
2 Samuel
2 शमूएल
1 Kings
1 राजा
2 Kings
2 राजा 
1 Chronicles
1 इतिहास
2 Chronicles
2 इतिहास
Ezra
एज्रा
Nehemiah
नहेमायाह
Esther
एस्तेर
Job
अय्यूब
Psalms
भजन संहिता
Proverbs
नीतिवचन
Ecclesiastes
सभोपदेशक
Song of Solomon
श्रेष्ठगीत
Isaiah
श्रेष्ठगीत
Jeremiah
यिर्मयाह
Lamentations
विलापगीत
Ezekiel
यहेजकेल
Daniel
दानिय्येल
Hosea
होशे
Joel
योएल
Amos
आमोस
Obadiah
ओबद्दाह
Jonah
योना
Micah
मीका
Nahum
नहूम
Habakkuk
हबक्कूक
Zephaniah
सपन्याह
Haggai
हाग्गै
Zechariah
जकर्याह
Malachi
मलाकी
Matthew
मत्ती
Mark
मरकुस
Luke
लूका
John
यूहन्ना
Acts
प्रेरितों के काम
Romans
रोमियो
1 Corinthians
1 कुरिन्थियों
2 Corinthians
2 कुरिन्थियों
Galatians
गलातियों
Ephesians
इफिसियों
Philippians
फिलिप्पियों
Colossians
कुलुस्सियों
1 Thessalonians
1 थिस्सलुनीकियों
2 Thessalonians
2 थिस्सलुनीकियों
1 Timothy
1 तीमुथियुस
2 Timothy
2 तीमुथियुस
Titus
तीतुस
Philemon
फिलेमोन
Hebrews
इब्रानियों
James
याकूब
1 Peter
1 पतरस
2 Peter
2 पतरस
1 John
1 यूहन्ना
2 John
2 यूहन्ना
3 John
3 यूहन्ना
Jude
यहूदा
Revelation
प्रकाशित वाक्य
 
 

 
 
translate into
नीतिवचन Chapter6
 
1 हे मरे पुत्र, यदि तू अपके पड़ोसी का उत्तरदायी हुआ हो, अयवा परदेशी के लिथे हाथ पर हाथ मार कर उत्तरदायी हुआ हो,
 
2 तो तू अपके ही मूंह के वचनोंसे फंसा, और अपके ही मुंह की बातोंसे पकड़ा गया।
 
3 इसलिथे हे मेरे पुत्र, एक काम कर, अर्यात्‌ तू जो अपके पड़ोसी के हाथ में पड़ चुका है, तो जा, उसको साष्टांग प्रणाम करके मना ले।
 
4 तू ने तो अपक्की आखोंमें नींद, और न अपक्की पलकोंमें झपक्की आने दे;
 
5 और अपके आप को हरिणी के समान शिकारी के हाथ से, और चिडिय़ा के समान चिडिक़ार के हाथ से छुड़ा।।
 
6 हे आलसी, च्यूंटियोंके पास जा; उनके काम पर ध्यान दे, और बुद्धिमान हो।
 
7 उनके न तो कोई न्यायी होता है, न प्रधान, और न प्रभुता करनेवाला,
 
8 तौभी वे अपना आहार धूपकाल में संचय करती हैं, और कटनी के समय अपक्की भोजनवस्तु बटोरती हैं।
 
9 हे आलसी, तू कब तक सोता रहेगा? तेरी नींद कब टूटेगी?
 
10 कुछ और सो लेना, योड़ी सी नींद, एक और झपक्की, योड़ा और छाती पर हाथ रखे लेटे रहना,
 
11 तब तेरा कंगालपन बटमार की नाई और तेरी घटी हयियारबन्द के समान आ पकेगी।।
 
12 ओछे और अनर्यकारी को देखो, वह टेढ़ी टेढ़ी बातें बकता फिरता है,
 
13 वह नैन से सैन और पांव से इशारा, और अपक्की अगुंलियोंसे सकेंत करता है,
 
14 उसके मन में उलट फेर की बातें रहतीं, वह लगातार बुराई गढ़ता है और फगड़ा रगड़ा उत्पन्न करता है।
 
15 इस कारण उस पर विपत्ति अचानक आ पकेगी, वह पल भर में ऐसा नाश हो जाएगा, कि बचने का कोई उपाय न रहेगा।।
 
16 छ: वस्तुओं से यहोवा बैर रखता है, वरन सात हैं जिन से उसको धृणा है
 
17 अर्यात्‌ घमण्ड से चक्की हुई आंखें, फूठ बोलनेवाली जीभ, और निर्दोष का लोहू बहानेवाले हाथ,
 
18 अनर्य कल्पना गढ़नेवाला मन, बुराई करने को वेग दौड़नेवाले पांव,
 
19 फूठ बोलनेवाला साझी और भाइयोंके बीच में फगड़ा उत्पन्न करनेवाला मनुष्य।
 
20 हे मेरे पुत्र, मेरी आज्ञा को मान, और अपक्की माता की शिझा का न तज।
 
21 इन को अपके ह्रृदय में सदा गांठ बान्धे रख; और अपके गले का हार बना ले।
 
22 वह तेरे चलने में तेरी अगुवाई, और सोते समय तेरी रझा, और जागते समय तुझ से बातें करेगी।
 
23 आज्ञा तो दीपक है और शिझा ज्योति, और सिखानेवाले की डांट जीवन का मार्ग है,
 
24 ताकि तुझ को बुरी स्त्री से बचाए और पराई स्त्री की चिकनी चुपक्की बातोंसे बचाए।
 
25 उसकी सुन्दरता देखकर अपके मन में उसकी अभिलाषा न कर; वह तुझे अपके कटाक्ष से फंसाने न पाए;
 
26 क्योंकि वेश्यागमन के कारण मनुष्य टुकड़ोंका भिखारी हो जाता है, परन्तु व्यभिचारिणी अनमोल जीवन का अहेर कर लेती है।
 
27 क्या हो सकता है कि कोई अपक्की छाती पर आग रख ले; और उसके कपके न जलें?
 
28 क्या हो सकता है कि कोई अंगारे पर चले, और उसके पांव न फुलसें?
 
29 जो पराई स्त्री के पास जाता है, उसकी दशा ऐसी है; वरन जो कोई उसको छूएगा वह दण्ड से न बचेगा।
 
30 जो चारे भूख के मारे अपना पेट भरने के लिथे चोरी करे, उसके तो लोग तुच्छ नहीं जानते;
 
31 तौभी यदि वह पकड़ा जाए, तो उसको सातगुणा भर देना पकेगा; वरन अपके घर का सारा धन देना पकेगा।
 
32 परनतु जो परस्त्रीगमन करता है वह निरा निर्बुद्ध है; जो अपके प्राणोंको नाश करना चाहता है, वह ऐसा करता है।।
 
33 उसको घायल और अपमानित होना पकेगा, और उसकी नामधराई कभी न मिटेगी।
 
34 क्योंकि जलन से पुरूष बहुत ही क्रोधित हो जाता है, और पलटा लेने के दिन वह कुछ कोमलता नहीं दिखाता।
 
35 वह घूस पर दृष्टि न करेगा, और चाहे तू उसको बहुत कुछ दे, तौभी वह न मानेगा।।
 
 

  [ Prev ] 1 | 2 | 3 | 4 | 5 | | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | [ Next ]