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Psalms 117:1       
 
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प्रकाशित वाक्य
 
 

 
 
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दानिय्येल Chapter12
 
1 उसी समय मीकाएल नाम बड़ा प्रधान, जो तेरे जाति-भाइयोंका पझ करने को खड़ा रहता है, वह उठेगा। तब ऐसे संकट का समय होगा, जैसा किसी जाति के उत्पन्न होने के समय से लेकर अब तक कभी न हुआ होगा; परन्तु उस समय तेरे लोगोंमें से जितनोंके नाम परमेश्वर की पुस्तक में लिखे हुए हैं, वे बच निकलेंगे।
 
2 और जो भूमि के नीचे सोए रहेंगे उन में से बहुत से लोग जाग उठेंगे, कितने तो सदा के जीवन के लिथे, और कितने अपक्की नामधराई और सदा तक अत्यन्त घिनौने ठहरने के लिथे।
 
3 तब सिखानेवालोंकी चमक आकाशमण्डल की सी होगी, और जो बहुतोंको धर्मी बनाते हैं, वे सर्वदा की नाईं प्रकाशमान रहेंगे।
 
4 परन्तु हे दानिय्थेल, तू इस पुस्तक पर मुहर करके इन वचनोंको अन्त समय तक के लिथे बन्द रख। और बहुत लोग पूछ-पाछ और ढूंढ-ढांढ करेंगे, और इस से ज्ञान बढ़ भी जाएगा।।
 
5 यह सब सुन, मुझ दानिय्थेल ने दृष्टि करके क्या देखा कि और दो पुरूष खड़ें हैं, एक तो नदी के इस तीर पर, और दूसरा नदी के उस तीर पर है।
 
6 यह सब सुन, मुझ दानिय्थेल ने दृष्टि करके क्या देशा कि और दो पुरूष खड़ें हैं, एक तो नदी के इस तीर पर, और दूसरा नदी के उस तीर पर है।
 
7 तब जो पुरूष सन का वस्त्र पहिने हुए नदी के जल के ऊपर या, उस से उन पुरूषोंमें से एक ने पूछा, इन आश्चर्यकर्मोंका अन्त कब तक होगा?
 
8 तब जो पुरूष सन का वस्त्र पहिने हुए नदी के जल के ऊपर या, उस ने मेरे सुनते दहिना और बांया अपके दोनोंहाथ स्वर्ग की ओर उठाकर, सदा जीवित रहनेवाले की शपय खाकर कहा, यह दशा साढ़े तीन काल तक ही रहेगी; और जब पवित्र प्रजा की शक्ति टूटते टूटते समाप्त हो जाएगी, तब थे बातें पूरी होंगी।
 
9 उस ने कहा, हे दानिय्थेल चला जा; क्योंकि थे बातें अन्तसमय के लिथे बन्द हैं और इन पर मुहर दी हुई है।
 
10 बहुत लोग तो अपके अपके को निर्मल और उजले करेंगे, और स्वच्छ हो जाएंगे; परन्तु दुष्ट लोग दुष्टता ही करते रहेंगे; और दुष्टोंमें से कोई थे बातें न समझेगा; परन्तु जो बुद्धिमान है वे ही समझेंगे।
 
11 और जब से नित्य होमबलि उठाई जाएगी, और वह घिनौनी वस्तु जो उजाड़ करा देती है, स्यापित की जाएगी, तब से बारह सौ नब्बे दिन बीतेंगे।
 
12 क्या ही धन्य है वह, जो धीरज धरकर तेरह सौ पैंतीस दिन के अन्त तक भी पहुंचे।
 
13 अब तू जाकर अन्त तक ठहरा रह; और तू विश्रम करता रहेगा; और उन दिनोंके अन्त में तू अपके निज भाग पर खड़ा होगा।।
 
 

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