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Psalms 117:1       
 
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प्रकाशित वाक्य
 
 

 
 
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नहेमायाह Chapter1
 
1 हकल्याह के पुत्र नहेमायाह के वचन। बीसवें वर्ष के किसलवे नाम महीने में, जब मैं शूशन नाम राजगढ़ में रहता या,
 
2 तब हनानी नाम मेरा एक भाई और यहूदा से आए हुए कई एक पुरुष आए; तब मैं ने उन से उन बचे हुए यहूदियोंके विषय जो बन्धुआई से छूट गए थे, और यरूशलेम के विष्य में पूछा।
 
3 उन्होंने मुझ से कहा, जो बचे हुए लोग बन्धुआई से छूटकर उस प्रान्त में रहते हैं, वे बड़ी दुर्दशा में पके हैं, और उनकी निन्दा होती है; क्योंकि यरूशलेम की शहरपनाह टूटी हुई, और उसके फाटक जले हुए हैं।
 
4 थे बातें सुनते ही मैं बैठकर रोने लगा और कितने दिन तक विलाप करता; और स्वर्ग के परमेश्वर के सम्मुख उपवास करता और यह कहकर प्रार्यना करता रहा।
 
5 हे स्वर्ग के परमेश्वर यहोवा, हे महान और भययोग्य ईश्वर ! तू जो अपके प्रेम रखनेवाले और आज्ञा माननेवाले के विष्य अपक्की वाचा पालता और उन पर करुणा करता है;
 
6 तू कान लगाए और आंखें खोले रह, कि जो प्रार्यना मैं तेरा दास इस समय तेरे दास इस्राएलियोंके लिथे दिन रात करता रहता हूँ, उसे तू सुन ले। मैं इस्राएलियोंके पापोंको जो हम लोगोंने तेरे विरुद्ध किए हैं, मान लेता हूँ। मैं और मेरे पिता के घराने दोनोंने पाप किया है।
 
7 हम ने तेरे साम्हने बहुत बुराई की है, और जो आज्ञाएं, विधियां और नियम तू ने अपके दास मूसा को दिए थे, उनको हम ने नहीं माना।
 
8 उस वचन की सुधि ले, जो तू ने अपके दास मूसा से कहा या, कि यदि तुम लोग विश्वासघात करो, तो मैं तुम को देश देश के लोगोंमें तितर बितर करूंगा।
 
9 परन्तु यदि तुम मेरी ओर फिरो, और मेरी आज्ञाएं मानो, और उन पर चलो, तो चाहे तुम में से निकाले हुए लोग आकाश की छोर में भी हों, तौभी मैं उनको वहां से इकट्ठा करके उस स्यान में पहुंचाऊंगा, जिसे मैं ने अपके नाम के निवास के लिथे चुन लिया है।
 
10 अब वे तेरे दास और तेरी प्रजा के लोग हैं जिनको तू ने अपक्की बड़ी सामर्य और बलवन्त हाथ के द्वारा छुड़ा लिया है।
 
11 हे प्रभु बिनती यह है, कि तू अपके दास की प्रार्यना पर, और अपके उन दासोंकी प्रार्यना पर, जो तेरे नाम का भय मानना चाहते हैं, कान लगा, और आज अपके दास का काम सुफल कर, और उस पुरुष को उस पर दयालु कर। (मैं तो राजा का पियाऊ या।)
 
 

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