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प्रकाशित वाक्य
 
 

 
 
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गिनती Chapter30
 
1 फिर मूसा ने इस्त्राएली गोत्रोंके मुख्य मुख्य पुरूषोंसे कहा, यहोवा ने यह आज्ञा दी है,
 
2 कि जब कोई पुरूष यहोवा की मन्नत माने, वा अपके आप को वाचा से बान्धने के लिथे शपय खाए, तो वह अपना वचन न टाले; जो कुछ उसके मुंह से निकला हो उसके अनुसार वह करे।
 
3 और जब कोई स्त्री अपक्की कुंवारी अवस्या में, अपके पिता के घर से रहते हुए, यहोवा की मन्नत माने, वा अपके को वाचा से बान्धे,
 
4 तो यदि उसका पिता उसकी मन्नत वा उसका वह वचन सुनकर, जिस से उसने अपके आप को बान्धा हो, उस से कुछ न कहे; तब तो उसकी सब मन्नतें स्यिर बनी रहें, और कोई बन्धन क्योंन हो, जिस से उस ने अपके आप को बान्धा हो, वह भी स्यिर रहे।
 
5 परन्तु यदि उसका पिता उसकी सुनकर उसी दिन उसको बरजे, तो उसकी मन्नतें वा और प्रकार के बन्धन, जिन से उस ने अपके आप को बान्धा हो, उन में से एक भी स्यिर न रहे, और यहोवा यह जान कर, कि उस स्त्री के पिता ने उसे मना कर दिया है, उसका यह पाप झमा करेगा।
 
6 फिर यदि वह पति के अधीन हो और मन्नत माने, वा बिना सोच विचार किए ऐसा कुछ कहे जिस से वह बन्धन में पके,
 
7 और यदि उसका पति सुनकर उस दिन उससे कुछ न कहे; तब तो उसकी मन्नतें स्यिर रहें, और जिन बन्धनोंसे उस ने अपके आप को बान्धा हो वह भी स्यिर रहें।
 
8 परन्तु यदि उसका पति सुनकर उसी दिन उसे मना कर दे, तो जो मन्नत उस ने मानी है, और जो बात बिना सोच विचार किए कहने से उस ने अपके आप को वाचा से बान्धा हो, वह टूट जाएगी; और यहोवा उस स्त्री का पाप झमा करेगा।
 
9 फिर विधवा वा त्यागी हुई स्त्री की मन्नत, वा किसी प्रकार की वाचा का बन्धन क्योंन हो, जिस से उस ने अपके आप को बान्धा हो, तो वह स्यिर ही रहे।
 
10 फिर यदि कोई स्त्री अपके पति के घर में रहते मन्नत माने, वा शपय खाकर अपके आप को बान्धे,
 
11 और उसका पति सुनकर कुछ न कहे, और न उसे मना करे; तब तो उसकी सब मन्नतें स्यिर बनी रहें, और हर एक बन्धन क्योंन हो, जिस से उस ने अपके आप को बान्धा हो, वह स्यिर रहे।
 
12 परन्तु यदि उसका पति उसकी मन्नत आदि सुनकर उसी दिन पूरी रीति से तोड़ दे, तो उसकी मन्नतें आदि, जो कुछ उसके मुंह से अपके बन्धन के विषय निकला हो, उस में से एक बात भी स्यिर न रहे; उसके पति ने सब तोड़ दिया है; इसलिथे यहोवा उस स्त्री का वह पाप झमा करेगा।
 
13 कोई भी मन्नत वा शपय क्योंन हो, जिस से उस स्त्री ने अपके जीव को दु:ख देने की वाचा बान्धी हो, उसको उसका पति चाहे तो दृढ़ करे, और चाहे तो तोड़े;
 
14 अर्यात्‌ यदि उसका पति दिन प्रति दिन उस से कुछ भी न कहे, तो वह उसको सब मन्नतें आदि बन्धनोंको जिस से वह बन्धी हो दृढ़ कर देता है; उस ने उनको दृढ़ किया है, क्योंकि सुनने के दिन उस ने कुछ नहीं कहा।
 
15 और यदि वह उन्हें सुनकर पीछे तोड़ दे, तो अपक्की स्त्री के अधर्म का भार वही उठाएगा।
 
16 पति पत्नी के बीच, और पिता और उसके घर मे रहती हुई कुंवारी बेटी के बीच, जिन विधियोंकी आज्ञा यहोवा ने मूसा को दी वे थे ही हैं।।
 
 

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