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प्रकाशित वाक्य
 
 

 
 
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यिर्मयाह Chapter33
 
1 जिस समय यिर्मयाह पहरे के आंगन में बन्द या, उस समय यहोवा का वचन दूसरी बार उसके पास पहुंचा,
 
2 यहोवा जो पृय्वी का रचनेवाला है, जो उसको स्यिर करता है, उसका नाम यहोवा है; वह यह कहता है,
 
3 मुझ से प्रार्यना कर और मैं तेरी सुनकर तुझे बढ़ी-बड़ी और कठिन बातें बताऊंगा जिन्हें तू अभी नहीं समझता।
 
4 क्योंकि इस्राएल का परमेश्वर यहोवा इस नगर के घरोंऔर यहूदा के राजाओं के भवनोंके विषय में जो इसलिथे गिराए जाते हैं कि दमदमोंऔर तलवार के साय सुभीते से लड़ सकें, योंकहता है,
 
5 कसदियोंसे युद्ध करने को वे लोग आते तो हैं, परन्तु मैं क्रोध और जलजलाहट में आकर उनको मरवाऊंगा और उनकी लोथें उसी स्यान में भर दूंगा; क्योंकि उनकी दुष्टता के कारण मैं ने इस नगर से मुख फेर लिया है।
 
6 देख, मैं इस नगर का इलाज करके इसके निवासिक्कों चंगा करूंगा; और उन पर पूरी शान्ति और सच्चाई प्रगट करूंगा।
 
7 मैं यहूदा और इस्राएल के बंधुओं को लौटा ले आऊंगा, और उन्हें पहिले की नाई बसाऊंगा।
 
8 मैं उनको उनके सारे अधर्म और पाप के काम से शुद्ध करूंगा जो उन्होंने मेरे विरुद्ध किए हैं; और उन्होंने जितने अधर्म और अपराध के काम मेरे विरुद्ध किए हैं, उन सब को मैं झमा करूंगा।
 
9 क्योंकि वे वह सब भलाई के काम सुनेंगे जो मैं उनके लिथे करूंगा और वे सब कल्याण और शान्ति की चर्चा सुनकर जो मैं उन से करूंगा, डरेंगे और यरयराएंगे; वे पृय्वी की उन जातियोंकी दृष्टि में मेरे लिथे हर्षानेवाले और स्तुति और शोभा का कारण हो जाएंगे।
 
10 यहोवा योंकहता है, यह स्यान जिसके विषय तुम लोग कहते हो कि यह तो उजाड़ हो गया है, इस में न तो मनुष्य रह गया है और न पशु, अर्यात्‌ यहूदा देश के नगर और यरूशलेम की सड़कें जो ऐसी सुनसान पक्की हैं कि उन में न तो कोई मनुष्य रहता है और न कोई पशु,
 
11 इन्हीं में हर्ष और आनन्द का शब्द, दुल्हे-दुल्हिन का शब्द, और इस बात के कहनेवालोंका शब्द फिर सुनाई पकेगा कि सेनाओं के यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि यहोवा भला है, और उसकी करुणा सदा की है। और यहोवा के भवन में धन्यवादबलि लानेवालोंका भी शब्द सुनाई देगा; क्योंकि मैं इस देश की दशा पहिले की नाई ज्योंकी त्योंकर दूंगा, यहोवा का यही वचन है।
 
12 सेनाओं का यहोवा कहता है: सब गांवोंसमेत यह स्यान जो ऐसा उजाड़ है कि इस में न तो मनुष्य रह गया है और न पशु, इसी में भेड़-बकरियां बैठानेवाले चरवाहे फिर बसेंगे।
 
13 पहाड़ी देश में और नीचे के देश में, दक्खिन देश के नगरोंमें, बिन्यामीन देश में, और यरूशलेम के आस पास, निदान यहूदा देश के सब नगरोंमें भेड़-बकरियां फिर गिन-गिनकर चराई जाएंगी, यहोवा का यही वचन हे।
 
14 यहोवा की यह भी वाणी है, देख, ऐसे दिन आनेवाले हैं कि कल्याण का जो वचन मैं ने इस्राएल और यहूदा के घरानोंके विषय में कहा है, उसे पूरा करूंगा।
 
15 उन दिनोंमें और उन समयोंमें मैं दाऊद के वंश में धर्म की एक डाल उगाऊंगा; और वह इस देश में न्याय और धर्म के काम करेगा।
 
16 उन दिनोंमें यहूदा बचा रहेगा और यरूशलेम निडर बसा रहेगा; और उसका नाम यह रखा जाएगा अय्रात्‌ यहोवा हमारी धामिर्कता।
 
17 यहोवा योंकहता है, दाऊद के कुल में इस्राएल के घराने की गद्दी पर विराजनेवाले सदैव बने रहेंगे,
 
18 और लेवीय याजकोंके कुलोंमें प्रतिदिन मेरे लिथे होमबलि चढ़ानेवाले और अन्नबलि जलानेवाले और मेलबलि चढ़ानेवाले सदैव बने रहेंगे।
 
19 फिर यहोवा का यह वचन यिर्मयाह के पास पहुंचा, यहोवा योंकहता है,
 
20 मैं ने दिन और रात के विषय में जो वाचा बान्धी है, जब तुम उसको ऐसा तोड़ सको कि दिन और रात अपके अपके समय में न हों,
 
21 तब ही जो वाचा मैं ने अपके दास दाऊद के संग बान्धी है टूट सकेगी, कि तेरे वंश की गद्दी पर विराजनेवाले सदैव बने रहेंगे, और मेरी वाचा मेरी सेवा टहल करतेवाले लेवीय याजकोंके संग बन्धी रहेगी।
 
22 जैसा आकाश की सेना की गिनती और समुद्र की बालू के किनकोंका परिमाण नहीं हो सकता है उसी प्रकार मैं अपके दास दाऊद के वंश और अपके सेवक लेवियोंको बढ़ाकर अनगिनित कर दूंगा।
 
23 यहोवा का यह वचन यिर्मयाह के पास पहुचा, क्या तू ने नहीं देखा
 
24 कि थे लोग क्या कहते हैं, कि, जो दो कुल यहोवा ने चुन लिए थे उन दोनोंसे उस ने अब हाथ उठाया है? यह कहकर कि थे मेरी प्रजा को तुच्छ जानते हैं और कि यह जाति उनकी दृष्टि में गिर गई है।
 
25 यहोवा योंकहता है, यदि दिन और रात के विषय मेरी वाचा अटल न रहे, और यदि आकाश और पृय्वी के नियम मेरे ठहराए हुए न रह जाएं,
 
26 तब ही मैं याकूब के वंश से हाथ उठाऊंगा।,और इब्राहीम, इसहाक और याकूब के वंश पर प्रभुता करने के लिथे अपके दास दाऊद के वंश में से किसी को फिर न ठहराऊंगा। परन्तु इसके विपक्कीत मैं उन पर दया करके उनको बंधुआई से लौटा लाऊंगा।
 
 

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