Bible-Server.org  
 
 
Praise the Lord, all ye nations      
Psalms 117:1       
 
enter keywords   match
 AND find keywords in

Home Page
Genesis
उत्पत्ति
Exodus
निर्गमन
Leviticus
लैव्यवस्था
Numbers
गिनती
Deuteronomy
व्यवस्थाविवरण
Joshua
यहोशू
Judges
न्यायियों
Ruth
रूत
1 Samuel
1 शमूएल
2 Samuel
2 शमूएल
1 Kings
1 राजा
2 Kings
2 राजा 
1 Chronicles
1 इतिहास
2 Chronicles
2 इतिहास
Ezra
एज्रा
Nehemiah
नहेमायाह
Esther
एस्तेर
Job
अय्यूब
Psalms
भजन संहिता
Proverbs
नीतिवचन
Ecclesiastes
सभोपदेशक
Song of Solomon
श्रेष्ठगीत
Isaiah
श्रेष्ठगीत
Jeremiah
यिर्मयाह
Lamentations
विलापगीत
Ezekiel
यहेजकेल
Daniel
दानिय्येल
Hosea
होशे
Joel
योएल
Amos
आमोस
Obadiah
ओबद्दाह
Jonah
योना
Micah
मीका
Nahum
नहूम
Habakkuk
हबक्कूक
Zephaniah
सपन्याह
Haggai
हाग्गै
Zechariah
जकर्याह
Malachi
मलाकी
Matthew
मत्ती
Mark
मरकुस
Luke
लूका
John
यूहन्ना
Acts
प्रेरितों के काम
Romans
रोमियो
1 Corinthians
1 कुरिन्थियों
2 Corinthians
2 कुरिन्थियों
Galatians
गलातियों
Ephesians
इफिसियों
Philippians
फिलिप्पियों
Colossians
कुलुस्सियों
1 Thessalonians
1 थिस्सलुनीकियों
2 Thessalonians
2 थिस्सलुनीकियों
1 Timothy
1 तीमुथियुस
2 Timothy
2 तीमुथियुस
Titus
तीतुस
Philemon
फिलेमोन
Hebrews
इब्रानियों
James
याकूब
1 Peter
1 पतरस
2 Peter
2 पतरस
1 John
1 यूहन्ना
2 John
2 यूहन्ना
3 John
3 यूहन्ना
Jude
यहूदा
Revelation
प्रकाशित वाक्य
 
 

 
 
translate into
यिर्मयाह Chapter23
 
1 उन चरवाहोंपर हाथ जो मेरी चराई की भेड़-बकरियोंको तितर-बितर करते ओर नाश करते हैं, यहोवा यह कहता है।
 
2 इसलिथे इस्राएल का परमेश्वर यहोवा अपक्की प्रजा के चरवाहोंसे योंकहता है, तुम ने मेरी भेड़-बकरियोंकी सुधि नहीं ली, वरन उनको तितर-बितर किया और बरबस निकाल दिया है, इस कारण यहोवा की यह वाणी है कि मैं तुम्हारे बुरे कामोंका दण्ड दूंगा।
 
3 तब मेरी भेड़-बकरियां जो बची हैं, उनको मैं उन सब देशोंमें से जिन में मैं ने उन्हें बरबस भेज दिया है, स्वयं ही उन्हें लौटा लाकर उन्हीं की भेड़शाला में इकट्ठा करूंगा, और वे फिर फूलें-फलेंगी।
 
4 मैं उनके लिथे ऐसे चरवाहे नियुक्त करूंगा जो उन्हें चराएंगे; और तब वे न तो फिर डरेंगी, न विस्मित होंगी और न उन में से कोई खो जाएंगी, यहोवा की यह वाणी है।
 
5 यहोवा की यह भी वाणी है, देख ऐसे दिन आते हैं जब मैं दाऊद के कुल में एक धमीं अंकुर उगाऊंगा, और वह राजा बनकर बुद्धि से राज्य करेगा, और अपके देश में न्याय और धर्म से प्रभुता करेगा।
 
6 उसके दिनोंमें यहूदी लोग बचे रहेंगे, और इस्राएली लोग निडर बसे रहेंगे : और यहोवा उसका नाम यहोवा “हमारी धामिर्कता” रखेगा।
 
7 सो देख, यहोवा की यह वाणी है कि ऐसे दिन आएंगे जिन में लोग फिर न कहेंगे, कि “यहोवा जो हम इस्राएलियोंको मिस्र देश से छुड़ा ले आया, उसके जीवन की सौगन्ध,”
 
8 परन्तु वे यह कहेंगे, “यहोवा जो इस्राएल के घराने को उत्तर देश से और उन सब देशोंसे भी जहां उस ने हमें बरबस निकाल दिया, छुड़ा ले आया, उसके जीवन की सौगन्ध।” तब वे अपके ही देश में बसे रहेंगे।
 
9 भविष्यद्वक्ताओं के विषय मेरा ह्रृदय भीतर ही भीतर फटा जाता है, मेरी सब हड्डियां यरयराती है; यहोवा ने जो पवित्र वचन कहे हैं, उन्हें सुनकर, मैं ऐसे मनुष्य के समान हो गया हूँ जो दाखमधु के नशे में चूर हो गया हो,
 
10 क्योंकि यह देश व्यभिचारियोंसे भरा है; इस पर ऐसा शाप पड़ा है कि यह विलाप कर रहा है; वन की चराइयां भी सूख गई। लोग बड़ी दौड़ तो दौड़ते हैं, परन्तु बुराई ही की ओर; और वीरता तो करते हैं, परन्तु अन्याय ही के साय।
 
11 क्योंकि भविष्यद्वक्ता और साजक दोनोंभक्तिहीन हो गए हैं; अपके भवन में भी मैं ने उनकी बुराई पाई है, यहोवा की यही वाणी है।
 
12 इस कारण उनका मार्ग अन्धेरा और फिसलाहा होगा जिस में वे ढकेलकर गिरा दिए जाएंगे; क्योंकि, यहोवा की यह वाणी है कि मैं उनके दण्ड के वर्ष में उन पर विपत्ति डालूंगा !
 
13 शोमरोन के भविष्यद्वक्ताओं में मैं ने यह मूर्खता देखी यी कि वे बाल के नाम से भविष्यद्वाणी करते और मेरी प्रजा इस्राएल को भटका देते थे।
 
14 परन्तु यरूशलेम के नबियोंमें मैं ने ऐसे काम देखे हैं, जिन से रोंगटे खड़े हो जाते हैं, अर्यात्‌ व्यभिचार और पाखष्ड; वे कुकमिर्योंको ऐसा हियाव बन्धाते हैं कि वे अपक्की अपक्की बुराई से पश्चात्ताप भी नहीं करते; सब निवासी मेरी दृष्टि में सदोमियोंऔर अमोरियोंके समान हो गए हैं।
 
15 इस कारण सेनाओं का यहोवा यरूशलेम के भविष्यद्वक्ताओं के विषय में योंकहता है, देख, मैं उनको कड़ुवी वस्तुएं खिलाऊंगा और विष पिलाऊंगा; क्योंकि उनके कारण सारे देश में भक्तिहीनता फैल गई है।
 
16 सेनाओं के यहोवा ने तुम से योंकहा है, इन भविष्यद्वक्ताओं की बातोंकी ओर जो तुम से भविष्सद्वाणी करते हैं कान मत लगाओ, क्योंकि थे तुम को व्यर्य बातें सिखाते हैं; थे दर्शन का दावा करके यहोवा के मुख की नहीं, अपके ही मन की बातें कहते हैं।
 
17 जो लोग मेरा तिरस्कार करते हैं उन मे थे भविष्यद्वक्ता सदा कहते रहते हैं कि यहोवा कहता है, तुम्हारा कल्याण होगा; और जितने लोग अपके हठ ही पर चलते हैं, उन से थे कहते हैं, तुम पर कोई विपत्ति न पकेगी।
 
18 भला कौन यहोवा की गुप्त सभा में खड़ा होकर उसका वचन सुनने और समझने पाया है?
 
19 वा किस ने ध्यान देकर मेरा वचन सुना है? देखो, यहोवा की जलजलाहट का प्रचाण्ड बवण्डर और आंधी चलने लगी है; और उसका फोंका दुष्टोंके सिर पर जोर से लगेगा।
 
20 जब तक यहोवा अपना काम और अपक्की युक्तियोंको पूरी न कर चुके, तब तक उसका क्रोध शान्त न होगा। अन्त के दिनोंमें तुम इस बात को भली भांति समझ सकोगे।
 
21 थे भविष्यद्वक्ता बिना मेरे भेजे दौड़ जाते और बिना मेरे कुछ कहे भविष्यद्वाणी करने लगते हैं।
 
22 यदि थे मेरी शिझा में स्यिर रहते, तो मेरी प्रजा के लोगोंको मेरे वचन सुनाते; और वे अपक्की बुरी चाल और कामोंसे फिर जाते।
 
23 यहोवा की यह वाणी है, कया मैं ऐसा परमेश्वर हूँ, जो दूर नहीं, निकट ही रहता हूँ?
 
24 फिर यहोवा की यह वाणी है, क्या कोई ऐसे गुप्त स्यानोंमें छिप सकता है, कि मैं उसे न देख सकूं? क्या स्वर्ग और पृय्वी दोनोंमुझ से परिपूर्ण नहीं हैं?
 
25 मैं ने इन भविष्यद्वक्ताओं की बातें भी सुनीं हैं जो मेरे नाम से यह कहकर फूठी भविष्यद्वाणी करते हैं कि मैं ने स्वप्न देखा है, स्वप्न !
 
26 जो भविष्यद्वक्ता फूठमूठ भविष्यद्वाणी करते और अपके मन ही के छल के भविष्यद्वक्ता हैं, यह बात कब तक उनके मन में समाई रहेगी?
 
27 जैसे मेरी प्रजा के लोगोंके पुरखा मेरा नाम भूलकर बाल का नाम लेने लगे थे, वैसे ही अब थे भविष्यद्वक्ता उन्हें अपके अपके स्वप्न बता बताकर मेरा नाम भुलाना चाहते हैं।
 
28 यदि किसी भविष्यद्वक्ता ने स्वप्न देखा हो, तो वह उसे बताए, परन्तु जिस किसी ने मेरा वचन सुना हो तो वह मेरा वचन सच्चाई से सुनाए। यहोवा की यह वाणी है, कहां भूसा और कहां गेहूं?
 
29 यहोवा की यह भी वाणी है कि क्या मेरा वचन आग सा नहीं है? फिर क्या वह ऐसा हयौड़ा नहीं जो पत्यर को फोड़ डाले?
 
30 यहोवा की यह वाणी है, देखो, जो भविष्यद्वक्ता मेरे वचन औरोंसे चुरा चुराकर बोलते हैं, मैं उनके विरुद्ध हूँ।
 
31 फिर यहोवा की यह भी वाणी है कि जो भविष्यद्वक्ता “उसकी यह वाणी है”, ऐसी फूठी वाणी कहकर अपक्की अपक्की जीभ डुलाते हैं, मैं उनके भी विरुद्ध हूँ।
 
32 यहावा की यह भी वाणी है कि जो बिना मेरे भेजे वा बिना मेरी आज्ञा पाए स्वप्न देखने का फूठा दावा करके भविष्यद्वाणी करते हैं, और उसका वर्णन करके मेरी प्रजा को फूठे घमण्ड में आकर भरमाते हैं, उनके भी मैं विरुद्ध हूँ; और उन से मेरी प्रजा के लोगोंका कुछ लाभ न हेगा।
 
33 यदि साधारण लोगोंमें से कोई जन वा कोई भविष्यद्वक्ता वा याजक तुम से पूछे कि यहोवा ने क्या प्रभवशाली वचन कहा है, तो उस से कहना, क्या प्रभवशाली वचन? यहोवा की यह वाणी है, मैं तुम को त्याग दूंगा।
 
34 और जो भविष्यद्वक्ता वा याजक वा साधारण मनुष्य “यहोवा का कहा हुआ भारी वचन” ऐसा कहता रहे, उसको घराने समेत मैं दण्ड दूंगा।
 
35 तुम लोग एक दूसरे से और अपके अपके भाई से योंपुछना, यहोवा ने क्या उत्तर दिया?
 
36 वा, यहोवा ने क्या कहा है? “यहोवा का कहा हुआ भारी वचन”, इस प्रकार तुम भविष्य में न कहना नहीं तो तुम्हारा ऐसा कहना ही दण्ड का कारण हो जाएगा; क्योंकि हमारा परमेश्वर सेनाओं का यहोवा जो जीवित परमेश्वर है, तुम लोगोंने उसके वचन बिगाड़ दिए हैं।
 
37 तू भविष्यद्वक्ता से यां पूछ कि यहोवा ने तुझे क्या उत्तर दिया?
 
38 वा, यहोवा ने क्या कहा है? यदि तुम “यहोवा का कहा हुआ प्रभावशाली वचन”: इसी प्रकार कहोगे, तो यहोवा का यह वचन सुनो, मैं ने तो तुम्हारे पास कहला भेजा है, भविष्य में ऐसा न कहना कि “यहोवा का कहा हुआ प्रभावशाली वचन।” परन्तु तुम यह कहते ही रहते हो, कि “यहोवा का कहा हुआ प्रभावशाली वचन।”
 
39 इस कारण देखो, मैं तुम को बिलकुल भूल जाऊंगा और तुम को और इस नगर को जिसे मैं ने तुम्हारे पुरखाओं को, और तुम को भी दिया है,
 
40 त्यागकर अपके साम्हने से दूर कर दूंगा। और मैं ऐसा करूंगा कि तुम्हारी नामधराई और अनादर सदा बना रहेगा; और कभी भूला न जाएगा।
 
 

  [ Prev ] 1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51 | 52 | [ Next ]