Bible-Server.org  
 
 
Praise the Lord, all ye nations      
Psalms 117:1       
 
enter keywords   match
 AND find keywords in

Home Page
Genesis
उत्पत्ति
Exodus
निर्गमन
Leviticus
लैव्यवस्था
Numbers
गिनती
Deuteronomy
व्यवस्थाविवरण
Joshua
यहोशू
Judges
न्यायियों
Ruth
रूत
1 Samuel
1 शमूएल
2 Samuel
2 शमूएल
1 Kings
1 राजा
2 Kings
2 राजा 
1 Chronicles
1 इतिहास
2 Chronicles
2 इतिहास
Ezra
एज्रा
Nehemiah
नहेमायाह
Esther
एस्तेर
Job
अय्यूब
Psalms
भजन संहिता
Proverbs
नीतिवचन
Ecclesiastes
सभोपदेशक
Song of Solomon
श्रेष्ठगीत
Isaiah
श्रेष्ठगीत
Jeremiah
यिर्मयाह
Lamentations
विलापगीत
Ezekiel
यहेजकेल
Daniel
दानिय्येल
Hosea
होशे
Joel
योएल
Amos
आमोस
Obadiah
ओबद्दाह
Jonah
योना
Micah
मीका
Nahum
नहूम
Habakkuk
हबक्कूक
Zephaniah
सपन्याह
Haggai
हाग्गै
Zechariah
जकर्याह
Malachi
मलाकी
Matthew
मत्ती
Mark
मरकुस
Luke
लूका
John
यूहन्ना
Acts
प्रेरितों के काम
Romans
रोमियो
1 Corinthians
1 कुरिन्थियों
2 Corinthians
2 कुरिन्थियों
Galatians
गलातियों
Ephesians
इफिसियों
Philippians
फिलिप्पियों
Colossians
कुलुस्सियों
1 Thessalonians
1 थिस्सलुनीकियों
2 Thessalonians
2 थिस्सलुनीकियों
1 Timothy
1 तीमुथियुस
2 Timothy
2 तीमुथियुस
Titus
तीतुस
Philemon
फिलेमोन
Hebrews
इब्रानियों
James
याकूब
1 Peter
1 पतरस
2 Peter
2 पतरस
1 John
1 यूहन्ना
2 John
2 यूहन्ना
3 John
3 यूहन्ना
Jude
यहूदा
Revelation
प्रकाशित वाक्य
 
 

 
 
translate into
उत्पत्ति Chapter28
 
1 तब इसहाक ने याकूब को बुलाकर आशीर्वाद दिया, और आज्ञा दी, कि तू किसी कनानी लड़की को न ब्याह लेना।
 
2 पद्दनराम में अपके नाना बतूएल के घर जाकर वहां अपके मामा लाबान की एक बेटी को ब्याह लेना।
 
3 और सर्वशक्तिमान ईश्वर तुझे आशीष दे, और फुला-फलाकर बढ़ाए, और तू राज्य राज्य की मण्डली का मूल हो।
 
4 और वह तुझे और तेरे वंश को भी इब्राहीम की सी आशीष दे, कि तू यह देश जिस में तू परदेशी होकर रहता है, और जिसे परमेश्वर ने इब्राहीम को दिया या, उसका अधिक्कारनेी हो जाए।
 
5 और इसहाक ने याकूब को विदा किया, और वह पद्दनराम को अरामी बतूएल के उस पुत्र लाबान के पास चला, जो याकूब और एसाव की माता रिबका का भाई या।
 
6 जब इसहाक ने याकूब को आशीर्वाद देकर पद्दनराम भेज दिया, कि वह वहीं से पत्नी ब्याह लाए, और उसको आशीर्वाद देने के समय यह आज्ञा भी दी, कि तू किसी कनानी लड़की को ब्याह न लेना;
 
7 और याकूब माता पिता की मानकर पद्दनराम को चल दिया;
 
8 तब एसाव यह सब देख के और यह भी सोचकर, कि कनानी लड़कियां मेरे पिता इसहाक को बुरी लगती हैं,
 
9 इब्राहीम के पुत्र इश्माएल के पास गया, और इश्माएल की बेटी महलत को, जो नबायोत की बहिन भी, ब्याहकर अपक्की पत्नियोंमे मिला लिया।।
 
10 सो याकूब बेर्शेबा से निकलकर हारान की ओर चला।
 
11 और उस ने किसी स्यान में पहुंचकर रात वहीं बिताने का विचार किया, क्योंकि सूर्य अस्त हो गया या; सो उस ने उस स्यान के पत्यरोंमें से एक पत्यर ले अपना तकिया बनाकर रखा, और उसी स्यान में सो गया।
 
12 तब उस ने स्वप्न में क्या देखा, कि एक सीढ़ी पृय्वी पर खड़ी है, और उसका सिरा स्वर्ग तक पहुंचा है : और परमेश्वर के दूत उस पर से चढ़ते उतरते हैं।
 
13 और यहोवा उसके ऊपर खड़ा होकर कहता है, कि मैं यहोवा, तेरे दादा इब्राहीम का परमेश्वर, और इसहाक का भी परमेश्वर हूं : जिस भूमि पर तू पड़ा है, उसे मैं तुझ को और तेरे वंश को दूंगा।
 
14 और तेरा वंश भूमि की धूल के किनकोंके समान बहुत होगा, और पच्छिम, पूरब, उत्तर, दक्खिन, चारोंओर फैलता जाएगा : और तेरे और तेरे वंश के द्वारा पृय्वी के सारे कुल आशीष पाएंगे।
 
15 और सुन, मैं तेरे संग रहूंगा, और जहां कहीं तू जाए वहां तेरी रझा करूंगा, और तुझे इस देश में लौटा ले आऊंगा : मैं अपके कहे हुए को जब तक पूरा न कर लूं तब तक तुझ को न छोडूंगा।
 
16 तब याकूब जाग उठा, और कहने लगा; निश्चय इस स्यान में यहोवा है; और मैं इस बात को न जानता या।
 
17 और भय खाकर उस ने कहा, यह स्यान क्या ही भयानक है ! यह तो परमेश्वर के भवन को छोड़ और कुछ नहीं हो सकता; वरन यह स्वर्ग का फाटक ही होगा।
 
18 भोर को याकूब तड़के उठा, और अपके तकिए का पत्यर लेकर उसका खम्भा खड़ा किया, और उसके सिक्के पर तेल डाल दिया।
 
19 और उस ने उस स्यान का नाम बेतेल रखा; पर उस नगर का नाम पहिले लूज या।
 
20 और याकूब ने यह मन्नत मानी, कि यदि परमेश्वर मेरे संग रहकर इस यात्रा में मेरी रझा करे, और मुझे खाने के लिथे रोटी, और पहिनने के लिथे कपड़ा दे,
 
21 और मैं अपके पिता के घर में कुशल झेम से लौट आऊं : तो यहोवा मेरा परमेश्वर ठहरेगा।
 
22 और यह पत्यर, जिसका मैं ने खम्भा खड़ा किया है, परमेश्वर का भवन ठहरेगा : और जो कुछ तू मुझे दे उसका दशमांश मैं अवश्य ही तुझे दिया करूंगा।।
 
 

  [ Prev ] 1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | [ Next ]