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2 शमूएल Chapter7 1 जब राजा अपके भवन में रहता या, और यहोवा ने उसको उसके चारोंओर के सब शत्रुऔं से विश्रम दिया या, 2 तब राजा नातान नाम भविष्यद्वक्ता से कहने लगा, देख, मैं तो देवदारु के बने हुए घर में रहता हूँ, परन्तु परमेश्वर का सन्दूक तम्बू में रहता है। 3 नातान ने राजा से कहा, जो कुछ तेरे मन में हो उसे कर; क्योंकि यहोवा तेरे संग है। 4 उसी दिन रात को यहोवा का यह वचन नातान के पास पहुंचा, 5 कि जाकर मेरे दास दाऊद से कह, यहोवा सोंकहता है, कि क्या तू मेरे निवास के लिथे घर बनवाएगा? 6 जिस दिन से मैं इस्रालिएयोंको मिस्र से निकाल लाया आज के दिन तक मैं कभी घर में नहीं रहा, तम्बू के निवास में आया जाया करता हूँ। 7 जहां जहां मैं समस्त इस्राएलियोंके बीच फिरता यि, क्या मैं ने कहीं इस्राएल के किसी गोत्र से, जिसे मैं ने अपक्की प्रजा इस्राएल की चरवाही करने को ठहराया हो, ऐसी बात कभी कही, कि तुम ने मेरे लिऐ देवदारु का घर क्योंनहीं बनवाया? 8 इसलिथे अब तू मेरे दास दाऊद से ऐसा कह, कि सेनाओं का यहोवा योंकहता है, कि मैं ने तो तुझे भेड़शाला से, और भ्ोड़-बकरिसोंके पीछे पीछे फिरने से, इस मनसा से बुला लिया कि तू मेरी प्रजा इस्राएल का प्रधान हो जाए। 9 और जहां कहीं तू आया गया, वहां वहां मैं तेरे संग रहा, और तेरे समस्त शत्रुओं को तेरे साम्हने से नाश किया है; फिर मैं तेरे नाम को पृय्वी पर के बड़े बड़े लोगोंके नामोंके समान महान कर दूंगा। 10 और मैं अपक्की प्रजा इस्राएल के लिथे एक स्यान ठहराऊंगा, और उसको स्यिर करूंगा, कि वह अपके ही स्यान में बसी रहेगी, और कभी चलायमान न होगी; और कुटिल लोग उसे फिर दु:ख न देने पाएंगे, जैसे कि पहिले दिनोंमें करते थे, 11 वरन उस समय से भी जब मैं अपक्की प्रजा इस्राएल के ऊपर न्यायी ठहराता या; और मैं तुझे तेरे समस्त शत्रुओं से विश्रम दूंगा। और यहोवा तुझे यह भी बताता है कि यहोवा तेरा घर बनाए रखेगा। 12 जब तेरी आयु पूरी हो जाएगी, और तू अपके पुरखाओं के संग सो जाएगा, तब मैं तेरे निज वंश को तेरे पीछे खड़ा करंके उसके राज्य को स्यिर करूंगा। 13 मेरे नाम का घर वही बनवाएगा, और मैं उसकी राजगद्दी को सदैव स्यिर रखूंगा। 14 मैं उसका पिता ठहरूंगा, और वह मेरा पुत्र ठहरेगा। यदि वह अधर्म करे, तो मैं उसे मनुष्योंके योग्य दण्ड से, और आदमियोंके योग्य मार से ताड़ना दूंगा। 15 परन्तु मेरी करुणा उस पर से ऐसे न हटेगी, जैसे मैं ने शाऊल पर से हटाकर उसको तेरे आगे से दूर किया। 16 वरन तेरा घराना और तेरा राज्य मेरे साम्हने सदा अटल बना रहेगा; तेरी गद्दी सदैव बनी रहेगी। 17 इन सब बातोंऔर इस दर्शन के अनुसार नातान ने दाऊद को समझा दिया। 18 तब दाऊद राजा भीतर जाकर यहोवा के सम्मुख बैठा, और कहने लगा, हे प्रभु यहोवा, क्या कहूं, और मेरा घराना क्या है, कि तू ने मुझे यहां तक पहुंचा दिया है? 19 परन्तु तौभी, हे प्रभु यहोवा, यह तेरी दृष्टी में छोटी सी बात हुई; क्योंकि तु ने अपके दास के घराने के विषय आगे के बहुत दिनोंतक की चर्चा की है, और हे प्रभु यहोवा, यह तो मनुष्य का नियम है ! 20 दाऊद तुझ से और क्या कह सकता है? हे प्रभु यहावा, तू तो अपके दास को जानता है ! 21 तू ने अपके वचन के निमित्त, और अपके ही मन के अनुसार, यह सब बड़ा काम किया है, कि तेरा दास उसको जान ले। 22 इस कारण, हे यहोवा परमेश्वर, तू महान् है; क्योंकि जो कुछ हम ने अपके कानोंसे सुना है, उसके अनुसार तेरे तुल्य कोई नहीं, और न तुझे छोड़ कोई और परमेश्वर है। 23 फिर तेरी प्रजा इस्राएल के भी तुल्य कौन है? यह तो पृय्वी भर में एक ही जाति है जिसे परमेश्वर ने जाकर अपक्की निज प्रजा करने को छुड़ाया, इसलिथे कि वह अपना नाम करे, ( और तुम्हारे लिथे बड़े बड़े काम करे ) और तू अपक्की प्रजा के साम्हने, जिसे तू ने मिस्री आदि जाति जाति के लोगोंऔर उनके देवताओं से छूड़ा लिया, अपके देश के लिथे भयानक काम करे। 24 और तू ने अपक्की प्रजा इस्राएल को अपक्की सदा की प्रजा होने के लिथे ठहराया; और हे यहोवा, तू आप उसका परमेश्वर है। 25 अब हे यहोवा परमेश्वर, तू ने जो वचन अपके दास के और उसके घराने के विषय दिया है, उसे सदा के लिथे स्यिर कर, और अपके कहने के अनूसार ही कर; 26 और यह कर कि लोग तेरे नाम की महिमा सदा किया करें, कि सेनाओं का यहोवा इस्राएल के ऊपर परमेश्वर है; और तेरे दास दाऊद का घराना तेरे साम्हने अटल रहे। 27 क्योंकि, हे सेनाओं के यहोवा, हे इस्राएल के परमेश्वर, तू ने यह कहकर अपके दास पर प्रगट किया है, कि मैं तेरा घर बनाए रखूंगा; इस कारण तेरे दास को तुझ से यह प्रार्यना करने का हियाव हुआ है। 28 और अब हे प्रभु यहोवा, तू ही परमेश्वर है, और तेरे वचन सत्य हैं, और तू ने अपके दास को यह भलाई करने का वचन दिया है; 29 तो अब प्रसन्न होकर अपके दास के घराने पर ऐसी आशीष दे, कि वह तेरे सम्मुख सदैव बना रहे; क्योंकि, हे प्रभु यहोवा, तू ने ऐसा ही कहा है, और तेरे दास का घराना तुझ से आशीष पाकर सदैव धन्य रहे।
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