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2 इतिहास Chapter4 1 फिर उस ने पीतल की एक वेदी बनाई, उसकी लम्बाई और चौड़ाई बीस बीस हाथ की और ऊंचाई दस हाथ की यी। 2 फिर उस ने एक ढाला हुआ हौद बनवाया; जो छोर से छोर तक दस हाथ तक चौड़ा या, उसका आकार गोल या, और उसकी ऊंचाई पांच हाथ की यी, और उसके चारोंओर का घेर तीस हाथ के नाप का या। 3 और उसके तले, उसके चारोंओर, एक एक हाथ में दस दस बैलोंकी प्रतिमाएं बनी यीं, जो हौद को घेरे यीं; जब वह ढाला गया, तब थे बैल भी दो पांति करके ढाले गए। 4 और वह बारह बने हुए बैलोंपर धरा गया, जिन में से तीन उत्तर, तीन पश्चिम, तीन दक्खिन और तीन पूर्व की ओर मुंह किए हुए थे; और इनके ऊपर हौद घरा या, और उन सभोंके पिछले अंग भीतरी भाग में पड़ते थे। 5 और हौद की मोटाई चौवा भर की यी, और उसका मोहड़ा कटोरे के मोहड़े की नाई, सोसन के फूलोंके काम से बना या, और उस में तीन हजार बत भरकर समाता या। 6 फिर उस ने धोने के लिथे दस हौदी बनवाकर, पांच दाहिनी और पांच बाई ओर रख दीं। उन में होमबलि की वस्तुएं धोई जाती यीं, परन्तु याजकोंके धोने के लिलथे बड़ा हौद या। 7 फिर उस ने सोने की दस दीवट विधि के अनुसार बनवाई, और पांच दाहिनी ओर और पांच बाई ओर मन्दिर में रखवा दीं। 8 फिर उस ने दस मेज बनवाकर पांच दाहिनी ओर और पाच बाई ओर मन्दिर में रखवा दीं। और उस ने सोने के एक सौ कटोरे बनवाए। 9 फिर उस ने याजकोंके आंगन और बड़े आंगन को बनवाया, और इस आंगन में फाटक बनवाकर उनके किवाड़ोंपर पीतल मढ़वाया। 10 और उस ने हौद को भवन की दाहिनी ओर अर्यात् पूर्व और दक्खिन के कोने की ओर रखवा दिया। 11 और हूराम ने हण्डों, फावडिय़ों, और कटोरोंको बनाया। और हूराम ने राजा सुलैमान के लिथे परमेश्वर के भवन में जो काम करना या उसे निपटा दिया : 12 अर्यात् दो खम्भे और गोलोंसमेत वे कंगनियां जो खम्भोंके सिरोंपर यीं, और खम्भोंके सिरोंपर के गोलोंको ढांपके के लिए जालियोंकी दो दो पांति; 13 और दोनोंजालियोंके लिथे चार सौ अनार और जो गोले खम्भोंके सिरोंपर थे, उनको ढांपकेवाली एक एक जाली के लिथे अनारोंकी दो दो पांति बनाई। 14 फिर उस न कुसिर्यां और कुसिर्योंपर की हौदियां, 15 और उनके नीचे के बारह बैल बनाए। 16 फिर हूराम-अबी ने हण्डों, फावडिय़ों, कांटोंऔर इनके सब सामान को यहोवा के भवन के लिथे राजा सुलैमान की आज्ञा से फलकाए हुए पीतल के बनवाए। 17 राजा ने उसको यरदन की तराई में अर्यात् सुक्कोत और सारतान के बीच की चिकनी मिट्टीवाली भूमि में ढलवाया। 18 सुलैमान ने थे सब पात्र बहुत बनवाए, यहां तक कि पीतल के तौल का हिसाब न या। 19 और सुलैमान ने परमेश्वर के भवन के सब पात्र, सोने की वेदी, और वे मेज जिन पर भेंट की रोटी रखी जाती यीं, 20 और दीपकोंसमेत चोखे सोने की दीवटें, जो विधि के अनुसार भीतरी कोठरी के साम्हने जला करतीं यीं। 21 और सोने बरन निरे सोने के फूल, दीपक और चिमटे; 22 और चोखे सोने की कैंचियां, कटोरे, धूपदान और करछे बनवाए। फिर भवन के द्वार और परम पवित्र स्यान के भीतरी किवाड़ और भवन अर्यात् मन्दिर के किवाड़ सोने के बने।
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