Bible-Server.org  
 
 
Praise the Lord, all ye nations      
Psalms 117:1       
 
enter keywords   match
 AND find keywords in

Home Page
Genesis
उत्पत्ति
Exodus
निर्गमन
Leviticus
लैव्यवस्था
Numbers
गिनती
Deuteronomy
व्यवस्थाविवरण
Joshua
यहोशू
Judges
न्यायियों
Ruth
रूत
1 Samuel
1 शमूएल
2 Samuel
2 शमूएल
1 Kings
1 राजा
2 Kings
2 राजा 
1 Chronicles
1 इतिहास
2 Chronicles
2 इतिहास
Ezra
एज्रा
Nehemiah
नहेमायाह
Esther
एस्तेर
Job
अय्यूब
Psalms
भजन संहिता
Proverbs
नीतिवचन
Ecclesiastes
सभोपदेशक
Song of Solomon
श्रेष्ठगीत
Isaiah
श्रेष्ठगीत
Jeremiah
यिर्मयाह
Lamentations
विलापगीत
Ezekiel
यहेजकेल
Daniel
दानिय्येल
Hosea
होशे
Joel
योएल
Amos
आमोस
Obadiah
ओबद्दाह
Jonah
योना
Micah
मीका
Nahum
नहूम
Habakkuk
हबक्कूक
Zephaniah
सपन्याह
Haggai
हाग्गै
Zechariah
जकर्याह
Malachi
मलाकी
Matthew
मत्ती
Mark
मरकुस
Luke
लूका
John
यूहन्ना
Acts
प्रेरितों के काम
Romans
रोमियो
1 Corinthians
1 कुरिन्थियों
2 Corinthians
2 कुरिन्थियों
Galatians
गलातियों
Ephesians
इफिसियों
Philippians
फिलिप्पियों
Colossians
कुलुस्सियों
1 Thessalonians
1 थिस्सलुनीकियों
2 Thessalonians
2 थिस्सलुनीकियों
1 Timothy
1 तीमुथियुस
2 Timothy
2 तीमुथियुस
Titus
तीतुस
Philemon
फिलेमोन
Hebrews
इब्रानियों
James
याकूब
1 Peter
1 पतरस
2 Peter
2 पतरस
1 John
1 यूहन्ना
2 John
2 यूहन्ना
3 John
3 यूहन्ना
Jude
यहूदा
Revelation
प्रकाशित वाक्य
 
 

 
 
translate into
2 इतिहास Chapter26
 
1 तब सब यहूदी प्रजा ने उज्जिय्याह को लेकर जो सोलह वर्ष का या, उसके पिता अमस्याह के स्यान पर राजा बनाया।
 
2 जब राजा अमस्याह अपके पुरखाओं के संग सो गया तब उज्जिय्याह ने एलोत नगर को दृढ़ कर के यहूदा में फिर मिला लिया।
 
3 जब उज्जिय्याह राज्य करने लगा, तब वह सोलह वर्ष का या। और यरूशलेम में बावन वर्ष तक राज्य करता रहा, और उसकी माता का नाम यकील्याह या, जो यरूशलेम की यी।
 
4 जैसे उसका पिता अमस्याह, किया करता या वैसा ही उसने भी किया जो यहोवा की दृष्टि में ठीक या।
 
5 और जकर्याह के दिनोंमें जो परमेश्वर के दर्शन के विषय समझ रखता या, वह परमेश्वर की खोज में लगा रहता या; और जब तक वह यहोवा की खोज में लगा रहा, तब तक परमेश्वर उसको भाग्यवान किए रहा।
 
6 तब उस ने जाकर पलिश्तियोंसे युद्ध किया, और गत, यब्ने और अशदोद की शहरपनाहें गिरा दीं, और अशदोद के आसपास और पलिश्तियोंके बीच में नगर बसाए।
 
7 और परमेश्वर ने पलिश्तियोंऔर गूर्बालवासी, अरबियोंऔर मूनियोंके विरुद्ध उसकी सहाथता की।
 
8 और अम्मोनी उज्जिय्याह को भेंट देने लगे, वरन उसकी कीत्तिर् मिस्र के सिवाने तक भी फैल गई्र, क्योंकि वह अत्यन्त सामयीं हो गया या।
 
9 फिर उज्जिय्याह ने यरूशलेम में कोने के फाटक और तराई के फाटक और शहरपनाह के मोड़ पर गुम्मट बनवाकर दृढ़ किए।
 
10 और उसके बहुत जानवर थे इसलिथे उस ने जंगल में और नीचे के देश और चौरस देश में गुम्मट बनवाए और बहुत से हौद खुदवाए, और पहाड़ोंपर और कर्म्मेल में उसके किसान और दाख की बारियोंके माली थे, क्योंकि वह खेती किसानी करनेवाला या।
 
11 फिर उज्जिय्याह के योद्धाओं की एक सेना यी जिनकी गिनती यीएल मुंशी और मासेयाह सरदार, हनन्याह नामक राजा के एक हाकिम की आज्ञा से करते थे, और उसके अनुसार वह दल बान्धकर लड़ने को जाती यी।
 
12 पितरोंके घरानोंके मुख्य मुख्य पुरुष जो शूरवीर थे, उनकी पूरी गिनती दो हजार छ: सौ यी।
 
13 और उनके अधिक्कारने में तीन लाख साढ़े सात हजार की एक बड़ी बड़ी सेना यी, जो शत्रुओं के विरुद्ध राजा की सहाथता करने को बड़े बल से युद्ध करनेवाले थे।
 
14 इनके लिथे अर्यात्‌ पूरी सेना के लिथे उज्जिय्याह ने ढालें, भाले, टोप, फिलम, धनुष और गोफन के पत्यर तैयार किए।
 
15 फिर उस ने यरूशलेम में गुम्मटोंऔर कंगूरोंपर रखने को चतुर पुरुषोंके निकाले हुए यन्त्र भी बनवाए जिनके द्वारा तीर और बड़े बड़े पत्यर फेंके जाते थे। और उसकी कीत्तिर् दूर दूर तक फैल गई, क्योंकि उसे अदभुत यहाथता यहां तक मिली कि वह सामयीं हो गया।
 
16 परन्तु जब वह सामयीं हो गया, तब उसका मन फूल उठा; और उस ने बिगड़कर अपके परमेश्वर यहोवा का विश्वासघात किया, अर्यात्‌ वह धूप की वेदी पर धूम जलाने को यहोवा के मन्दिर में घुस गया।
 
17 और अजर्याह याजक उसके बाद भीतर गया, और उसके संग यहोवा के अस्सी याजक भी जो वीर थे गए।
 
18 और उन्होंने उज्जिय्याह राजा का साम्हना करके उस से कहा, हे उज्जिय्याह यहोवा के लिथे धूप जलाना तेरा काम नहीं, हारून की सन्तान अर्यात्‌ उन याजकोंही का काम है, जो धूप जलाने को पवित्र किए गए हैं। तू पवित्रस्यान से निकल जा; तू ने विश्वासघात किया है, यहोवा परमेश्वर की ओर से यह तेरी महिमा का कारण न होगा।
 
19 तब उज्जिय्याह धूप जलाने को धूपदान हाथ में लिथे हुए फुंफला उठा। और वह याजकोंपर फुंफला रहा या, कि याजकोंके देखते देखते यहोवा के भवन में धूप की वेदी के पास ही उसके माथे पर कोढ़ प्रगट हुआ।
 
20 और अजर्याह महाथाजक और सब याजकोंने उस पर दृष्टि की, और क्या देखा कि उसके माथे पर कोढ़ निकला है ! तब उत्होंने उसको वहां से फटपट निकाल दिया, वरन यह जानकर कि यहोवा ने मुझे कोढ़ी कर दिया है, उस ने आप बाहर जाने को उतावली की।
 
21 और उज्जिय्याह राजा मरने के दिन तक कोढ़ी रहा, और कोढ़ के कारण अलग एक घर में रहता या, वह तो यहोवा के भवन में जाने न पाता या। और उसका पुत्र योताम राजघराने के काम पर नियुक्त किया गया और वह लोगोंका न्याय भी करता या।
 
22 आदि से अन्त तक उज्जिय्याह के और कामोंका वर्णन तो आमोस के पुत्र यशायाह नबी ने लिखा है।
 
23 निदान उज्जिय्याह अपके पुरखाओं के संग सो गया, और उसको उसके पुरखाओं के निकट राजाओं के मिट्टी देने के खेत में मिट्टी दी गई क्योंकि उन्होंने कहा, कि वह कोढ़ी है। और उसका पुत्र योताम उसके स्यान पर राज्य करने लगा।
 
 

  [ Prev ] 1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | [ Next ]