Bible-Server.org  
 
 
Praise the Lord, all ye nations      
Psalms 117:1       
 
enter keywords   match
 AND find keywords in

Home Page
Genesis
उत्पत्ति
Exodus
निर्गमन
Leviticus
लैव्यवस्था
Numbers
गिनती
Deuteronomy
व्यवस्थाविवरण
Joshua
यहोशू
Judges
न्यायियों
Ruth
रूत
1 Samuel
1 शमूएल
2 Samuel
2 शमूएल
1 Kings
1 राजा
2 Kings
2 राजा 
1 Chronicles
1 इतिहास
2 Chronicles
2 इतिहास
Ezra
एज्रा
Nehemiah
नहेमायाह
Esther
एस्तेर
Job
अय्यूब
Psalms
भजन संहिता
Proverbs
नीतिवचन
Ecclesiastes
सभोपदेशक
Song of Solomon
श्रेष्ठगीत
Isaiah
श्रेष्ठगीत
Jeremiah
यिर्मयाह
Lamentations
विलापगीत
Ezekiel
यहेजकेल
Daniel
दानिय्येल
Hosea
होशे
Joel
योएल
Amos
आमोस
Obadiah
ओबद्दाह
Jonah
योना
Micah
मीका
Nahum
नहूम
Habakkuk
हबक्कूक
Zephaniah
सपन्याह
Haggai
हाग्गै
Zechariah
जकर्याह
Malachi
मलाकी
Matthew
मत्ती
Mark
मरकुस
Luke
लूका
John
यूहन्ना
Acts
प्रेरितों के काम
Romans
रोमियो
1 Corinthians
1 कुरिन्थियों
2 Corinthians
2 कुरिन्थियों
Galatians
गलातियों
Ephesians
इफिसियों
Philippians
फिलिप्पियों
Colossians
कुलुस्सियों
1 Thessalonians
1 थिस्सलुनीकियों
2 Thessalonians
2 थिस्सलुनीकियों
1 Timothy
1 तीमुथियुस
2 Timothy
2 तीमुथियुस
Titus
तीतुस
Philemon
फिलेमोन
Hebrews
इब्रानियों
James
याकूब
1 Peter
1 पतरस
2 Peter
2 पतरस
1 John
1 यूहन्ना
2 John
2 यूहन्ना
3 John
3 यूहन्ना
Jude
यहूदा
Revelation
प्रकाशित वाक्य
 
 

 
 
translate into
1 शमूएल Chapter2
 
1 और हन्ना ने प्रार्यना करके कहा, मेरा मन यहोवा के कारण मगन है; मेरा सींग यहोवा के कारण ऊंचा, हुआ है। मेरा मुंह मेरे शत्रुओं के विरूद्ध खुल गया, क्योंकि मैं तेरे किए हुए उद्धार से आनन्दित हूं।
 
2 यहोवा के तुल्य कोई पवित्र नहीं, क्योंकि तुझ को छोड़ और कोई है ही नहीं; और हमारे परमेश्वर के समान कोई चट्टान नहीं है।।
 
3 फूलकर अहंकार की ओर बातें मत करो, और अन्धेर की बातें तुम्हारे मुंह से न निकलें; क्योंकि यहोवा ज्ञानी ईश्वर है, और कामोंको तौलनेवाला है।।
 
4 शूरवीरोंके धनुष टूट गए, और ठोकर खानेवालोंकी कटि में बल का फेंटा कसा गया।।
 
5 जो पेट भरते थे उन्हें रोटी के लिथे मजदूरी करनी पक्की, जो भूखे थे वे फिर ऐसे न रहे। वरन जो बांफ यी उसके सात हुए, और अनेक बालकोंकी माता घुलती जाती है।
 
6 यहोवा मारता है और जिलाता भी है; वही अधोलोक में उतारता और उस से निकालता भी है।।
 
7 यहोवा निर्धन करता है और धनी भी बनाता है, वही नीचा करता और ऊंचा भी करता है।
 
8 वह कंगाल को धूलि में से उठाता; और दरिद्र को घूरे में से निकाल खड़ा करता है, ताकि उनको अधिपतियोंके संग बिठाए, और महिमायुक्त सिंहासन के अधिक्कारनेी बनाए। क्योंकि पृय्वी के खम्भे यहोवा के हैं, और उस ने उन पर जगत को धरा है।
 
9 वह अपके भक्तोंके पावोंको सम्भाले रहेगा, परन्तु दुष्ट अन्धिक्कारने में चुपचाप पके रहेंगे; क्योंकि कोई मनुष्य अपके बल के कारण प्रबल न होगा।।
 
10 जो यहोवा से फगड़ते हैं वे चकनाचूर होंगे; वह उनके विरूद्ध आकाश में गरजेगा। यहोवा पृय्वी की छोर तक न्याय करेगा; और अपके राजा को बल देगा, और अपके अभिषिक्त के सींग को ऊंचा करेगा।।
 
11 तब एल्काना रामा को अपके घर चला गया। और वह बालक एली याजक के साम्हने यहोवा की सेवा टहल करने लगा।।
 
12 एली के पुत्र तो लुच्चे थे; उन्होंने यहोवा को न पहिचाना।
 
13 और याजकोंकी रीति लोगोंके साय यह यी, कि जब कोई मनुष्य मेलबलि चढ़ाता या तब याजक का सेवक मांस पकाने के समय एक त्रिशूली कांटा हाथ में लिथे हुए आकर,
 
14 उसे कड़ाही, वा हांडी, वा हंडे, वा तसले के भीतर डालता या; और जितना मांस कांटे में लग जाता या उतना याजक आप लेता या। योंही वे शीलो में सारे इस्राएलियोंसे किया करते थे जो वहां आते थे।
 
15 और चर्बी जलाने से पहिले भी याजक का सेवक आकर मेलबलि चढ़ानेवाले से कहता या, कि कबाब के लिथे याजक को मांस दे; वह तुझ से पका हुआ नहीं, कच्चा ही मांस लेगा।
 
16 और जब कोई उस से कहता, कि निश्चय चर्बी अभी जलाई जाएगी, तब जितना तेरा जी चाहे उतना ले लेना, तब वह कहता या, नहीं, अभी दे; नहीं तो मैं छीन लूंगा।
 
17 इसलिथे उन जवानोंका पाप यहोवा की दृष्टि में बहुत भारी हुआ; क्योंकि वे मनुष्य यहोवा की भेंट का तिरस्कार करते थे।।
 
18 परन्तु शमूएल जो बालक या सनी का एपोद पहिने हुए यहोवा के साम्हने सेवा टहल किया करता या।
 
19 और उसकी माता प्रति वर्ष उसके लिथे एक छोटा सा बागा बनाकर जब अपके पति के संग प्रति वर्ष की मेलबलि चढ़ाने आती यी तब बागे को उसके पास लाया करती यी।
 
20 और एली ने एल्काना और उसकी पत्नी को आशीर्वाद देकर कहा, यहोवा इस अर्पण किए हुए बालक की सन्ती जो उसको अर्पण किया गया है तुझ को इस पत्नी के वंश दे; तब वे अपके यहां चले गए।
 
21 और यहोवा ने हन्ना की सुधि ली, और वह गर्भवती हुई ओर उसके तीन बेटे और दो बेटियां उत्पन्न हुई। और शमूएल बालक यहोवा के संग रहता हुआ बढ़ता गया।
 
22 और एली तो अति बूढ़ा हो गया या, और उस ने सुना कि मेरे पुत्र सारे इस्राएल से कैसा कैसा व्यवहार करते हैं, वरन मिलापवाले तम्बू के द्वार पर सेवा करनेवाली स्त्रियोंके संग कुकर्म भी करते हैं।
 
23 तब उस ने उन से कहा, तुम ऐसे ऐसे काम क्योंकरते हो? मैं तो इन सब लोगोंसे तुम्हारे कुकर्मोंकी चर्चा सुना करता हूं।
 
24 हे मेरे बेटों, ऐसा न करो, क्योंकि जो समाचार मेरे सुनने में आता है वह अच्छा नहीं; तुम तो यहोवा की प्रजा से अपराध कराते हो।
 
25 यदि एक मनुष्य दूसरे मनुष्य का अपराध करे, तब तो परमेश्वर उसका न्याय करेगा; परन्तु यदि कोई मनुष्य यहोवा के विरूद्ध पाप करे, तो उसके लिथे कौन बिनती करेगा? तौभी उन्होंने अपके पिता की बात न मानी; क्योंकि यहोवा की इच्छा उन्हें मार डालने की यी।
 
26 परन्तु शमूएल बालक बढ़ता गया और यहोवा और मनुष्य दोनो उस से प्रसन्न रहते थे।।
 
27 और परमेश्वर का एक जन एली के पास जाकर उस से कहने लगा, यहोवा योंकहता है, कि जब तेरे मूलपुरूष का घराना मिस्र में फिरौन के घराने के वश में या, तब क्या मैं उस पर निश्चय प्रगट न हुआ या?
 
28 और क्या मैं ने उसे इस्राएल के सब गोत्रोंमें से इसलिथे चुन नहीं लिया या, कि मेरा याजक होकर मेरी वेदी के ऊपर चढ़ावे चढ़ाए, और धूप जलाए, और मेरे साम्हने एपोद पहिना करे? और क्या मैं ने तेरे मूलपुरूष के घराने को इस्राएलियोंके कुल हव्य न दिए थे?
 
29 इसलिथे मेरे मेलबलि और अन्नबलि जिनको मैं ने अपके धाम में चढ़ाने की आज्ञा दी है, उन्हें तुम लोग क्योंपांव तले रौंदते हो? और तू क्योंअपके पुत्रोंका आदर मेरे आदर से अधिक करता है, कि तुम लोग मेरी इस्राएली प्रजा की अच्छी से अच्छी भेंटें खा खाके मोटे हो जाओ?
 
30 इसलिथे इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की यह वाणी है, कि मैं ने कहा तो या, कि तेरा घराना और तेरे मूलपुरूष का घराना मेरे साम्हने सदैव चला करेगा; परन्तु अब यहोवा की वाणी यह है, कि यह बात मुझ से दूर हो; क्योंकि जो मेरा आदर करें मैं उनका आदर करूंगा, और जो मुझे तुच्छ जानें वे छोटे समझे जाएंगे।
 
31 सुन, वे दिन आते हैं, कि मैं तेरा भुजबल और तेरे मूलपुरूष के घराने का भुजबल ऐसा तोड़ डालूंगा, कि तेरे घराने में कोई बूढ़ा होने न पाएगा।
 
32 इस्राएल का कितना ही कल्याण क्योंन हो, तौभी तुझे मेरे धाम का दु:ख देख पकेगा, और तेरे घराने में कोई कभी बूढ़ा न होने पाएगा।
 
33 मैं तेरे कुल के सब किसी से तो अपक्की वेदी की सेवा न छीनूंगा, परन्तु तौभी तेरी आंखें देखती रह जाएंगी, और तेरा मन शोकित होगा, और तेरे घर की बढ़ती सब अपक्की पूरी जवानी ही में मर मिटेंगें।
 
34 और मेरी इस बात का चिन्ह वह विपत्ति होगी जो होप्नी और पीनहास नाम तेरे दोनोंपुत्रोंपर पकेगी; अर्यात्‌ वे दोनो के दोनोंएक ही दिन मर जाएंगे।
 
35 और मैं अपके लिथे एक विश्वासयोग्य याजक ठहराऊंगा, जो मेरे ह्रृदय और मन की इच्छा के अनुसार किया करेगा, और मैं उसका घर बसाऊंगा और स्यिर करूंगा, और वह मेरे अभिषिक्त के आगे सब दिन चला फिरा करेगा।
 
36 और ऐसा होगा कि जो कोई तेरे घराने में बचा रहेगा वह उसी के पास जाकर एक छोटे से टुकड़े चान्दी के वा एक रोटी के लिथे दण्डवत्‌ करके कहेगा, याजक के किसी काम में मुझे लगा, जिस से मुझे एक टुकड़ा रोटी मिले।।
 
 

  [ Prev ] 1 | | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | [ Next ]